Judicial Service Exam Eligibility: लॉ ग्रेजुएट अब सीधे नहीं दे सकेंगे सिविल जज एग्जाम, ज्यूडिशियल सर्विस में एंट्री के लिए 3 साल वकालत अनिवार्य

Judicial Service Exam News: न्यायिक भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (20 मई) को अहम फैसला सुनाते हुए जूनियर डिवीजन सिविल जजों की भर्ती के लिए तीन साल वकालत की प्रैक्टिस का नियम बहाल कर दिया। इसी के साथ लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती रद्द हो गई है। न्यूनतम 3 साल प्रैक्टिस के बाद ही ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा देने की शर्त दोबारा बहाल हो गई है

अपडेटेड May 20, 2025 पर 12:32 PM
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Judicial Service Exam News: सुप्रीम कोर्ट ने नए लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती पर रोक लगा दी गई

Judicial Service Exam News: न्यायपालिका में काम करने के इच्छुक उम्मीदवारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। अब तुरंत पास हुए ग्रेजुएट उम्मीदवार जूनियर डिवीजन सिविल जज एग्जाम नहीं दे सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती पर रोक लगा दी है। न्यायिक भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए सिविल जजों की भर्ती के लिए तीन साल वकालत की प्रैक्टिस का नियम बहाल कर दिया। इसी के साथ लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती रद्द हो गई है। न्यूनतम 3 साल प्रैक्टिस के बाद ही ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा देने की शर्त दोबारा बहाल हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि युवा लॉ ग्रेजुएट होते ही न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते हैं। सिविल जजों के पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम तीन साल वकालत करना अनिवार्य है। इस फैसले का न्यायिक सेवा के अभ्यर्थियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने भावी जजों के लिए अदालती अनुभव के महत्व को दोहराया।

पीटीआई के मुताबिक चीफ जस्सिट (CJI) ने फैसला सुनाते हुए कहा, "नए लॉ ग्रेजुएट की नियुक्ति से कई कठिनाइयां आई हैं, जैसा कि कई उच्च न्यायालयों ने कहा है। न्यायिक दक्षता और क्षमता सुनिश्चित करने के लिए अदालत में व्यावहारिक अनुभव आवश्यक है।" पीठ ने कहा कि निम्न कैडर कैडर के प्रवेश स्तर के सिविल जज पदों के लिए न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने के वास्ते न्यूनतम तीन साल की वकालत अनिवार्य है।


यह फैसला अखिल भारतीय जज संघ द्वारा दायर याचिका पर आया। चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि नए लॉ ग्रेजुएट को न्यायपालिका में सीधे प्रवेश की अनुमति देने से व्यावहारिक चुनौतियां पैदा हुई हैं, जैसा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों में जिक्र किया गया है।

न्यायिक सेवा परीक्षा भारत में विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोगों या उच्च न्यायालयों द्वारा निचली अदालतों में जजों या न्यायिक अधिकारियों के पद के लिए योग्य उम्मीदवारों की भर्ती के लिए आयोजित एक प्रतियोगी परीक्षा है। यह आम तौर पर लॉ ग्रेजुएट के लिए खुली होती है।

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सफल उम्मीदवार सिविल जज, न्यायिक मजिस्ट्रेट या प्रवेश स्तर के न्यायिक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू करते हैं। ये जिला या अधीनस्थ न्यायालय स्तर पर न्याय प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परीक्षा में आम तौर पर कानून के ज्ञान, कानूनी तर्क, सामान्य ज्ञान और कभी-कभी लैंग्वेज स्किल का टेस्ट किया जाता है।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: May 20, 2025 12:31 PM

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