Deputy CM Vijay Sinha: लखीसराय के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले विजय कुमार सिन्हा ने आज दूसरी बार बिहार के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। 5 जून 1967 को अपने ननिहाल तिलकपुर में जन्मे विजय सिन्हा आज बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक हैं। सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त करने वाले सिन्हा ने छात्र राजनीति अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरुआत की और अपनी सादगी, अनुशासन और सामाजिक संवेदनशीलता के दम पर एक 'अनस्टॉपेबल' राजनीतिक करियर बनाया है।
संगठनात्मक आधार और चुनावी पकड़
शिक्षक पिता और गृहिणी माता के घर जन्मे विजय सिन्हा का बचपन से ही शिक्षा और अनुशासन पर जोर रहा। इसी वजह से छात्र जीवन में वे ABVP और RSS से जुड़े, जिसने उनके राजनीतिक मूल्यों और नेतृत्व शैली को आकार दिया। लंबे समय तक भाजपा संगठन में सक्रिय रहने के बाद पार्टी ने उन्हें 2005 में लखीसराय विधानसभा से टिकट दिया और उन्होंने पहली बार में जीत हासिल की। हालांकि, उसी वर्ष हुए दोबारा चुनाव में वे महज 80 वोट से हार गए थे।
इस हार को चुनौती मानते हुए, उन्होंने इसके बाद 2010, 2015 और 2020 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज करके अपनी पकड़ मजबूत की। जनता से सीधा संवाद और सरल व्यवहार उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण रहा।
विधायक से स्पीकर और फिर डिप्टी CM तक का सफर
साल 2017 में उन्हें बिहार सरकार में श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने कौशल विकास और श्रमिक हितों पर उल्लेखनीय काम किया। 2020 में वे बिहार विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए। इस पद पर उनकी छवि एक सख्त, अनुशासित और प्रक्रियाओं को महत्व देने वाले नेता की रही। हालांकि 2022 में उन्हें राजनीतिक परिस्थितियों के कारण यह पद छोड़ना पड़ा। जनवरी 2024 में सरकार के पुनर्गठन में भाजपा ने उन्हें बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया। उन्होंने पथ निर्माण, कृषि, युवा एवं संस्कृति जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
विजय सिन्हा की नेतृत्व शैली संयमित और अनुशासित मानी जाती है। वह राजनीतिक रूप से अपने परिवार में पहली पीढ़ी के नेता हैं, लेकिन संगठन और जनता से उनके मजबूत जुड़ाव ने उन्हें बिहार भाजपा का एक केंद्रीय चेहरा बना दिया है। यही कारण है कि पार्टी ने उन्हें फिर से बिहार के उप-मुख्यमंत्री के रूप में चयनित किया है।