Bihar Election 2025 News: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राज्य की राजनीति में बयानबाजी और सियासी गर्मी भी बढ़ती जा रही है। चुनावी एजेंडे में रोजगार, महंगाई और कानून-व्यवस्था के साथ-साथ अब शराबबंदी भी बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने नीतीश सरकार की शराबबंदी नीति पर सवाल उठाते हुए बड़ा बयान दिया है।
जीतनराम मांझी ने गुरुवार (11 सितंबर) को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि शराबबंदी लागू होने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और कमजोर तबके को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "थोड़ी-बहुत यानी लिटल-लिटल शराब पीने वालों पर केस दर्ज करने का कोई मतलब नहीं है। शराब पीने वाले पर कार्रवाई करने के बजाय सरकार को शराब बनाने और तस्करी करने वाले बड़े माफिया के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए।"
मांझी ने नीतीश कुमार को याद दिलाया कि जब शराबबंदी की तीसरी बार समीक्षा हुई थी। तब खुद मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति थोड़ी मात्रा में पीने के लिए शराब ले जा रहा है, तो उसे नहीं पकड़ा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को चुनाव से पहले इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और शराब पीने से जुड़े छोटे-छोटे केस खत्म कर देने चाहिए।
इसके साथ ही HAM सुप्रीमो ने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए गरीब और छोटे लोगों को पकड़कर जेल भेज देती है। जबकि बड़े-बड़े शराब तस्करों को छोड़ देती है। मांझी के मुताबिक, "पुलिस खानापूर्ति करती है और असली माफिया बेखौफ कारोबार कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले यह अन्याय खत्म होना चाहिए, वरना जनता नाराजगी दिखाएगी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। विपक्षी दल पहले से ही नीतीश सरकार को शराबबंदी की विफलता पर घेरते आए हैं। RJD और कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी केवल दिखावा है और असल में शराब का धंधा खुलेआम चलता है। जीतनराम मांझी का यह बयान न केवल विपक्ष को बल देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर शराबबंदी को लेकर मतभेद है।
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि मांझी का यह बयान चुनावी राजनीति को प्रभावित कर सकता है। दलित और महादलित समाज में उनका असर है। अगर वे इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाते हैं, तो यह NDA के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
हालांकि, नीतीश कुमार लंबे समय से शराबबंदी को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताते आ रहे हैं। लेकिन विपक्ष और अब सहयोगियों की आलोचना के बीच उन पर दबाव बढ़ रहा है। मांझी का कहना है कि अगर सरकार चुनाव से पहले छोटे केस खत्म कर देगी तो गरीब तबके में बड़ा संदेश जाएगा। वहीं, अगर सरकार इस पर चुप रही तो विपक्ष इसको चुनावी हथियार बनाएगा।