Bihar Elections 2025 News: चुनाव आयोग (ECI) ने बुधवार (17 सितंबर) को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की सुविधा और चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए EVM बैलेट पेपर्स के डिजाइन और प्रींटिंग के संबंध में नए गाइडलाइंस जारी किए। चुनाव आयोग के अनुसार, ईवीएम बैलेट पेपर पर अब उम्मीदवारों की कलर तस्वीरें शामिल होंगी। पहले फोटो ब्लैक एंड व्हाइट हुआ करते थे। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, इसके अलावा उम्मीदवारों की नंबरिंग और उनका फॉन्ट साइज भी पहले से बड़ा होगा। इससे वोटर वोट डालने के पहले उसको अच्छे से पढ़ और देख सकेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग (ECI) इसकी शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव से करेगा। चुनाव आयोग ने बताया, "निर्वाचन नियम, 1961 के नियम 49B के तहत EVM बैलेट पेपर की डिजाइन और प्रिंटिंग संबंधी मौजूदा गाइडलाइंस में संशोधन किया गया है, ताकि उनकी स्पष्टता और पठनीयता को बढ़ाया जा सके।"
चुनाव आयोग ने बताया कि उम्मीदवारों/NOTA के क्रमांक इंटरनेशनल फॉर्म (यानी 1,2,3...) में भारतीय अंकों में छापे जाएंगे। स्पष्टता के लिए फॉन्ट साइज 30 और बोल्ड होगा। ECI के बयान के मुताबिक, EVM बैलेट पेपर 70 GSM पेपर पर छापे जाएंगे।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह पहल पिछले छह महीनों में चुनाव प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और बेहतर बनाने तथा मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए उसके द्वारा की गई 28 पहलों के अनुरूप है। पिछले कुछ महीनों में विपक्षी दलों ने भारतीय चुनाव आयोग पर हमले तेज कर दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ दल को चुनावी लाभ दिलाने के लिए 'वोट चोरी' की जा रही है।
चुनाव आयोग ने यह गाइडलाइन ऐसे समय जारी किया है जब बिहार SIR को लेकर विपक्ष के निशाने पर है। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि वह यह मानता है कि भारत का निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था होने के नाते बिहार में वोटर लिस्ट के SIR के दौरान कानून का पालन कर रहा है। इसने यह भी आगाह किया कि किसी भी अवैधता की स्थिति में इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग नियमों और अपनी नियमावली का घोर उल्लंघन कर रहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह सात अक्टूबर को मामले में विस्तार से सुनवाई करेंगे। इस प्रक्रिया के सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करेंगे।
निर्वाचन आयोग का कहना है कि एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाना है। इसके तहत उन लोगों के नामों को हटाना है जो मर चुके हैं, जिनके पास डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र हैं या जो अवैध प्रवासी हैं। एसआईआर के निष्कर्षों से बिहार में रजिस्टर्ड मतदाताओं की कुल संख्या घटकर 7.24 करोड़ हो गई, जो इस प्रक्रिया से पहले 7.9 करोड़ थी।