बिहार है तैयार... 6 नवंबर, 2025 को एक हाई-वोल्टेज राजनीतिक मुकाबले के लिए मंच तैयार हो चुका है, क्योंकि बिहार चुनाव के पहले चरण में 243 में से 121 सीटों पर वोटिंग होगी, लेकिन इनमें छह सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला कड़ा होगा, क्योंकि वहां उम्मीदवार बड़ा होगा। यादव वंश के गढ़ राघोपुर से लेकर रणनीतिक रणक्षेत्र तारापुर और अलीनगर के संगीतमय आकर्षण तक, ये निर्वाचन क्षेत्र हाई वॉल्टेज ड्रामा, विरासत और दमदार लड़ाइयों का मैदान हैं, जो बिहार के राजनीतिक परिदृश्य का भविष्य तय कर सकते हैं। तेजस्वी यादव और उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जैसे दिग्गजों के मैदान में होने के कारण, वर्चस्व की इस रोमांचक लड़ाई में हर वोट मायने रखता है, जिसने पूरे राज्य का ध्यान अपनी ओर खींचा हुआ है।
लालू प्रसाद यादव परिवार का पारंपरिक गढ़ है राघोपुर। लालू प्रसाद यादव ने 1995 और 2000 में यहां से जीत हासिल की, राबड़ी देवी तीन बार, और तेजस्वी यादव 2015 से विधायक हैं। तेजस्वी यादव (RJD) उपमुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता रह चुके हैं। 2010 में, BJP के सतीश कुमार यादव ने राबड़ी देवी को हराया था, लेकिन 2015 और 2020 में तेजस्वी से हार गए। इस चुनाव के मुख्य उम्मीदवार: तेजस्वी यादव (RJD), सतीश कुमार यादव (BJP), चंचल सिंह (जन सुराज पार्टी)।
यहां यादव मतदाताओं का मजबूत आधार है, साथ ही अनुसूचित जाति (21.17%) और मुस्लिम (15.10%) मतदाता भी महत्वपूर्ण संख्या में हैं। लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव 2015 में महुआ से जीते, लेकिन 2020 में हसनपुर से चुनाव लड़े। मौजूदा विधायक मुकेश कुमार रौशन इस बार भी RJD के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार एक पेंच ये है कि लालू के लाल तेज प्रताप यादव भी उनके खिलाफ यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।
तेज प्रताप यादव को RJD ने पार्टी से बाहर कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने जनशक्ति जनता दल बनाकर कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। इस बार वह 'महागठबंधन' के ही प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में हैं। अब महुआ सीट से तेज प्रताप यादव (जनशक्ति जनता दल) मुकेश कुमार रौशन (RJD) और संजय सिंह (LJP, NDA) के बीच में त्रिकोणीय मुकाबला होगा।
तारापुर पारंपरिक रूप से JDU का गढ़ रहा है। इस बार रणनीति में बदलाव हुआ और उपमुख्यमंत्री BJP नेता सम्राट चौधरी RJD के अरुण कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। कुशवाहा, यादव, मुस्लिम और अनुसूचित जाति की बड़ी आबादी यहां है। 2020 में, JDU के मेवा लाल चौधरी 63,463 वोटों से जीते थे।
भारतीय जनता पार्टी ने अलीनगर से शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित पार्श्व गायिका मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला RJD के विनोद मिश्रा से है। 2020 में VIP के मिश्री लाल यादव जीते थे; उससे पहले, RJD की यहां मजबूत उपस्थिति थी।
हसनपुर में 2020 में तेज प्रताप यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस सीट पर मुकाबला माला पुष्पम (RJD) और निवर्तमान मंत्री राज कुमार रे (JDU) के बीच है। तेज प्रताप ने 2020 में रे को 21,139 वोटों के अंतर से हराकर यहां जीत हासिल की थी।
मोकामा सीट पर इस बार चुनावी लड़ाई बेहद घमासान है, जिसमें JDU के बाहुबली नेता अनंत सिंह और RJD की उम्मीदवार वीणा देवी आमने-सामने हैं। अनंत सिंह इस इलाकों में दो दशकों से राज कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में उनकी गिरफ्तारी ने चुनावी माहौल को गरमाकर रख दिया है। वहीं वीणा देवी, जो सूरजभान सिंह की पत्नी हैं, अनंत सिंह को चुनौती दे रही हैं और इस सीट पर अपनी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। मोकामा की राजनीति में जातीय समीकरण खास भूमिका निभाते हैं, जहां भूमिहार, धानुक, राजपूत, कुर्मी, दलित और मुस्लिम वोटर्स की संख्या निर्णायक मानी जाती है। इस बार जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी की एंट्री ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। कुल मिलाकर, मोकामा सीट पर जातीय समीकरण, बाहुबली राजनीति और आपराधिक मामलों के कारण यह मुकाबला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे गर्म और हाई प्रोफाइल लड़ाइयों में से एक माना जा रहा है।