Bihar Chunav 2025: 'हम अपने पूर्वजों की कब्रों से DNA भी निकाल लेंगे', बिहार में ईरानी मूल के 30 वोटर को मिला नोटिस

Bihar Chunav 2025: भले ही इन लोगों की मातृभाषा फारसी है, फिर भी किशनगंज में रहने वाले ईरानी परिवार खुद को भारतीय कहते हैं। बिहार में SIR का काम जारी है और करीब 30 लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज पेश करने को कहा गया है। 20 साल की शाहिना परवीन, जो B.Ed करना चाहती हैं, उनके लिए वोटर लिस्ट में उनके पिता का नाम न होना रुकावट पैदा कर रहा है

अपडेटेड Sep 29, 2025 पर 9:11 PM
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Bihar Chunav 2025: बिहार में SIR के तहत ईरानी मूल के 30 वोटर को मिला नोटिस

ईरानी मूल के परिवारों के बिहार के किशनगंज में बसने, इलाके के खान-पान और रहन-सहन को अपनाने, अपना कारोबार करने, अपने बच्चों का पालन-पोषण करने और पिछले चुनावों में मतदान करने के दो पीढ़ियों बाद, उनके वंशजों को अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभ्यास के तहत अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि, उनकी मातृभाषा फारसी है, फिर भी किशनगंज में रहने वाले ईरानी परिवार खुद को भारतीय कहते हैं। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में SIR का काम जारी है और करीब 30 लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज पेश करने को कहा गया है।

एक और निवासी ताहिर अली ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार के चार और सदस्यों को अधिकारियों को जरूरी दस्तावेज जमा करने के बावजूद नोटिस जारी कर दिए गए।


उन्होंने दावा किया उन्हें ये कह प्रताड़ित किया जा रहा है कि उन्हें और उनके परिवार को विदेशी करार दे दिया जाएगा, उन्होंने पूछा, "हम कहां जाएंगे? हमारे दादा-दादी और परदादा-परदादी वोटर लिस्ट में थे। हम केवल न्याय की उम्मीद कर सकते हैं।"

20 साल की शाहिना परवीन, जो B.Ed करना चाहती हैं, उनके लिए वोटर लिस्ट में उनके पिता का नाम न होना रुकावट पैदा कर रहा है।

एक और निवासी ने कहा कि उनके नाम वोटिंग रिकार्ड में जुड़वाने के सभी कोशिशें विफल रहीं। उन्होंने कहा कि जो नेता मुद्दों के समाधान का वादा करते हैं, वे आमतौर पर कुछ ही दिनों में वादे से मुकर जाते हैं।

उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वज अवैध नहीं थे, वे बांग्लादेश से नहीं थे। हमसे जो भी दस्तावेज मांगे गए हैं, हम उन्हें दे रहे हैं और सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं। अगर उन्हें DNA चाहिए, तो हम उसे अपने पूर्वजों की कब्रों से निकाल लेंगे।"

कमर अब्बास वोटर लिस्ट से बार-बार नाम कटने से निराश हैं। उन्होंने कहा, "जब भी हमें नोटिस मिले हैं, हमने अपनी नागरिकता का प्रमाण दिया है। मेरा नाम 2003 की वोटर लिस्ट में था, फिर उसे हटा दिया गया। हमने फिर उसे दोबारा जुड़वाया। हर बार दस्तावेज देने के बावजूद हमारे नाम काटे जाते हैं, और हमें बस यही बताया जाता है कि आदेश बड़े अधिकारियों से आया है।"

वार्ड नंबर 7 के एक ईरानी व्यक्ति हैदर अली, जिन्हें इसी तरह का नोटिस मिला था, उन्होंने दावा किया कि वोटर लिस्ट से बार-बार नाम हटाना और नागरिकता साबित करने की जरूरतें उनकी जमीन हड़पने की साजिश है।

उन्होंने NDTV को बताया, "मेरी मां का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में था, लेकिन 2005 में इसे हटा दिया गया। 2005 से, ईरानी समुदाय के कई सदस्यों के नाम लिस्ट से हटाने के लिए प्रशासन को गुमनाम आवेदन दिए गए और उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया। हमारे पास SIR में मांगे गए सभी दस्तावेज हैं।"

वहीं एक रत्न व्यापारी ने कहा कि वोटर पहचान पत्र न होने के कारण उन्हें काम के लिए दूसरे राज्यों में जाते समय होटल ढूंढने में भी परेशानी होती है।

BJP नेता सुशांत गोप ने नोटिस की लिस्ट दिखाते हुए कहा कि ईरानी बस्ती के 28 लोगों को नोटिस दिया गया है और उन्हें जरूरी कागजात जमा करके अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। उन्होंने कहा, "ईरानी लोग यहां लगभग 40 सालों से रह रहे हैं। 28 लोगों की पहचान हो गई है, लेकिन उनके नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटाए गए हैं। उनसे नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे गए हैं।"

पूर्व विधायक और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता मोजाहिद आलम ने कहा कि जिन लोगों को नोटिस मिले हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अपने पास मौजूद दस्तावेज जमा करने चाहिए और चुनाव आयोग भी उसी के अनुसार काम करेगा।

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