Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई नए चेहरे मैदान में उतरे, जिनमें चर्चित नाम में से एक नाम है पूर्व IPS अधिकारी शिवदीप लांडे का। 'दबंग अफसर' की छवि और सोशल मीडिया पर लोकप्रियता के कारण माना जा रहा था कि वे अपनी राजनीतिक पारी की मजबूत शुरुआत करेंगे। लेकिन नतीजों ने सभी अनुमान उलट दिए। दो सीटों, जमालपुर और अररिया से चुनाव लड़ने वाले शिवदीप लांडे को दोनों जगह करारी हार मिली।
अररिया से चौथे स्थान पर रहे शिवदीप लांडे
अररिया विधानसभा सीट पर शिवदीप लांडे चौथे स्थान पर रहे। उन्हें यहां से सिर्फ 4,085 वोट मिले। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अब्दुर रहमान ने 91,529 वोट हासिल कर जबरदस्त जीत हासिल की। शिवदीप लांडे का अररिया में परिणाम यह दर्शाता है कि उनकी लोकप्रियता सोशल मीडिया पर तो थी, लेकिन उसे वोट में तब्दील नहीं किया जा सका।
जमालपुर में तीसरा स्थान - 16 हज़ार वोट भी नहीं मिले
जमालपुर सीट पर शिवदीप कुछ बेहतर स्थिति में दिखे, लेकिन यहां भी जनता ने उन्हें नकार दिया। उन्हें कुल 15,528 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट पर JDU के प्रत्याशी नचिकेता ने 96,303 वोट हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की। यानी दोनों ही क्षेत्रों में जनता ने पुरानी पार्टी को ही प्राथमिकता दी।
क्यों हारे शिवदीप लांडे? जानिए प्रमुख कारण
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, शिवदीप की हार के कई बड़े कारण रहे है। जिसमें राजनीतिक पहचान की कमी प्रमुख कारण मानी जा रही है। IPS अधिकारी के रूप में उनकी छवि मजबूत थी, लेकिन चुनावी राजनीति में उनकी पहचान अभी नई थी। जनता मजबूत स्थानीय नेटवर्क और दलों के पुराने चेहरों पर ज्यादा भरोसा कर रही थी।
शिवदीप लांडे ने 'हिंद सेना' नाम से अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन समय पर रजिस्ट्रेशन न होने के कारण उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ना पड़ा। पार्टी सिंबल ना होना चुनाव लड़ने में बड़ी बाधा माना जाता है।
दो सीटों से चुनाव लड़ना किसी नए चेहरे के लिए जोखिम भरा होता है। दोनों क्षेत्रों में जमीनी पकड़ बनाना मुश्किल हो गया, जिससे उनका वोट बंट गया।
अररिया में कांग्रेस और जमालपुर में JDU के प्रत्याशी पहले से मजबूत जनाधार वाले थे। दोनों क्षेत्रों में क्षेत्रीय समीकरण और जातीय गणित भी शिवदीप के खिलाफ चले।
हालांकि शिवदीप सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और उनकी ईमानदार अधिकारी की एक साफ-सुथरी छवि रही है, लेकिन यह लोकप्रियता बूथ स्तर पर वोट में तब्दील नहीं हो सकी।
शिवदीप लांडे की यह पहली राजनीतिक परीक्षा थी। पहली बार मैदान में उतरने वाले कई उम्मीदवारों के लिए चुनावी सफर आसान नहीं होता। अब देखना दिलचस्प होगा कि वे आगे संगठन मजबूत कर किस तरह राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश करते हैं।