बिहार में नई सरकार के गठन की तैयारियां जोरों पर हैं। खबर है कि एनडीए अपना शपथ ग्रहण समारोह 20 नवंबर को गांधी मैदान में आयोजित कर सकता है। इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए के कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं। हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए ने बड़ी जीत दर्ज की। राज्य की 243 सीटों में से 202 सीटें गठबंधन ने जीतीं। इसमें भाजपा ने 89 सीटें, जबकि नीतीश कुमार की जदयू ने 85 सीटें हासिल कीं। इन नतीजों के साथ एनडीए ने एक बार फिर राज्य में सत्ता में वापसी की है।
नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने की ओर
एनडीए की जोरदार जीत के सामने महागठबंधन पूरी तरह बिखर गया। राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गया, कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं, जबकि वाम दलों को कुल 3 सीटें हासिल हुईं। इसके अलावा बसपा और IIP को एक-एक सीट मिली। अब जब चुनाव नतीजे पूरी तरह सामने आ चुके हैं, बिहार की राजनीति का ध्यान नई सरकार के गठन पर टिक गया है। जदयू नेता नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता संभालने की तैयारी में हैं। यदि वे शपथ लेते हैं, तो यह उनका 10वां कार्यकाल होगा। इसके साथ ही वे देश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं में शामिल हो जाते हैं।
गठबंधन में फिर वही फॉर्मूला लागू होने की उम्मीद
बिहार में नई सरकार बनने को लेकर चर्चाएँ तेज हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा–जदयू गठबंधन मंत्रिमंडल गठन में भी वही फॉर्मूला अपना सकता है जो टिकट बंटवारे के समय इस्तेमाल किया गया था। अनुमान है कि नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे, जबकि भाजपा और चिराग पासवान की लोजपा को एक-एक उपमुख्यमंत्री पद मिल सकता है। चुनाव के समय एनडीए के हर सहयोगी दल को उनके एक सांसद के बदले 5–6 विधानसभा सीटें दी गई थीं। इसी आधार पर माना जा रहा है कि मंत्रिपदों का बंटवारा भी इसी पैटर्न पर होगा। उदाहरण के लिए, जदयू के पास इस समय 84 विधायक हैं, इसलिए कैबिनेट में उसे करीब 14 पद मिल सकते हैं।
एनडीए जल्द बुलाएगा विधायक दल की बैठक
नई सरकार के गठन को लेकर एनडीए में चर्चा तेज है। उम्मीद है कि गठबंधन के सभी दलों को उनकी जीती हुई सीटों के अनुपात में जगह दी जाएगी, ताकि सत्ता का बंटवारा संतुलित रहे। जब यह आंतरिक बातचीत पूरी हो जाएगी, तब एनडीए एक संयुक्त विधायक दल की बैठक बुलाएगा। इसी बैठक में गठबंधन अपने नेता का औपचारिक चुनाव करेगा, जो नई सरकार का नेतृत्व करेगा।
इसी बीच, चुनाव रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज, जो इस चुनाव में खास प्रदर्शन नहीं कर पाई, ने दिलचस्प दावा किया है। पार्टी का कहना है कि उनके कई समर्थकों ने एनडीए को वोट दिया ताकि राजद सत्ता में न लौट सके और “जंगल राज” वापस आने का डर दूर रहे। जन सुराज पार्टी के इस बयान ने चुनाव परिणामों की राजनीतिक चर्चा को और तेज कर दिया है।