Bihar Chunav 2025: जहां 20 साल पहले नक्सली हमले में मारे गए थे 7 पुलिसवाले, बिहार के उसी गांव में हुई शांतिपूर्ण वोटिंग

Bihar Election 2025 भीमबांध स्थित वन विभाग के विश्राम गृह में बने बूथ संख्या 310 पर 374 मतदाता रजिस्टर्ड थे, जिनमें 170 महिलाएं और 204 पुरुष शामिल थे। सभी नक्सल प्रभावित केंद्रों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात किए गए थे, जबकि आसपास के जंगली इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई थी

अपडेटेड Nov 06, 2025 पर 7:56 PM
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Bihar Chunav 2025: जहां 20 साल पहले नक्सली हमले में मारे गए थे 7 पुलिसवाले, बिहार के उसी गांव में हुई शांतिपूर्ण वोटिंग

बिहार के मुंगेर जिले के कई नक्सल प्रभावित गांवों के निवासियों ने गुरुवार को अपने वोट डाले, जिससे इतिहास रचा गया। यह घटना दो दशक पहले की है, जब 2005 में हुए एक घातक नक्सली हमले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (SP) सहित सात पुलिसकर्मी मारे गए थे, जिसके बाद मतदान केंद्रों को हटा दिया गया था। 5 जनवरी 2005 को नक्सलियों ने भीमबांध इलाके के पास बारूदी सुरंग विस्फोट में मुंगेर के SP केसी सुरेंद्र बाबू और छह पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी।

अधिकारियों ने बताया कि जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण रहा। गौरतलब है कि तारापुर विधानसभा क्षेत्र के भीमबांध समेत नक्सल प्रभावित इलाकों के सात मतदान केंद्रों पर 20 साल में पहली बार मतदान हुआ।

भीमबांध स्थित वन विभाग के विश्राम गृह में बने बूथ संख्या 310 पर 374 मतदाता रजिस्टर्ड थे, जिनमें 170 महिलाएं और 204 पुरुष शामिल थे। सभी नक्सल प्रभावित केंद्रों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात किए गए थे, जबकि आसपास के जंगली इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई थी।


'हमें पहले वोट देने के लिए 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा'

कई निवासियों के लिए, यह दिन सामान्य स्थिति की ओर लौटने का एक लंबा इंतजार था। 81 साल के मतदाता विशुन देव सिंह ने याद करते हुए कहा, "2005 से पहले, हम अपने गांव में ही वोट डालते थे। लेकिन नक्सली घटना के बाद, चुनाव आयोग ने हमारा मतदान केंद्र लगभग 20 किलोमीटर दूर शिफ्ट कर दिया। हमें ले जाने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन बुजुर्ग ग्रामीण और महिलाएं अक्सर वहीं रुक जाती थीं। नतीजतन, मतदान प्रतिशत हमेशा कम रहता था।"

उन्होंने कहा कि गांव वाले आखिरकार अपने गांव में फिर से मतदान करने को लेकर बहुत खुश हैं और उन्होंने मतदान केंद्र बहाल करने के लिए चुनाव आयोग और राज्य सरकार को धन्यवाद दिया।

युवा मतदाताओं को नई उम्मीद

पहली बार वोट डालने वाले बादल प्रताप ने कहा कि उनकी उम्र दो साल पहले 18 साल हो गई थी, लेकिन इससे पहले वे कभी वोट नहीं दे पाए थे, क्योंकि सबसे नजदीकी मतदान केंद्र गांव के बाहर था। उन्होंने कहा, "इस बार, मैंने आखिरकार मतदान किया। बहुत अच्छा लग रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "अब जब यहां फिर से मतदान हो रहा है, तो मुझे उम्मीद है कि सरकार शिक्षा और रोज़गार के अवसरों पर भी ध्यान देगी।"

एक अन्य निवासी दिलखुश ने बताया कि दशकों से चली आ रही नक्सली हिंसा ने स्थानीय विकास को अवरुद्ध कर दिया है। उन्होंने कहा, "यहाँ अच्छे स्कूल नहीं हैं और उच्च शिक्षा के लिए हमें दूर जाना पड़ता है। सरकार को इस क्षेत्र में शिक्षा में सुधार पर ध्यान देना चाहिए।"

महिला मतदाताओं ने भी उत्साह व्यक्त किया। भीमबांध बूथ पर शुरुआती मतदाताओं में शामिल नीलम देवी ने कहा, "इतने सालों बाद अपने गाँव में मतदान करके बहुत अच्छा लग रहा है।"

कड़ी सुरक्षा में शातिपूण मतदान

सेक्टर मजिस्ट्रेट अशोक कुमार ने पुष्टि की कि क्षेत्र में बहाल किए गए सभी सात बूथों पर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। उन्होंने कहा, "इतने लंबे अंतराल के बाद मतदान में भाग लेकर लोग खुश दिखाई दे रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "पर्याप्त केंद्रीय बल तैनात किए गए थे और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे इलाके में गश्त की गई थी।"

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