बिहार की जाति-आधारित राजनीति में विकास के दो मुद्दे केंद्र में आ गए हैं - रोजगार और मजबूत कानून-व्यवस्था। RJD के तेजस्वी यादव अपने पिता के ढर्रे से हटकर कुछ करना चाहते हैं और इसलिए, उन्हें पता है कि उन्हें युवा और महत्वाकांक्षी बिहारियों के लिए आकर्षक बनना होगा। यह तभी संभव है, जब वे उनकी जरूरतों, यानी रोजगार के बारे में बात करें। यही वजह है कि तेजस्वी लगातार भाषणों में अपनी पार्टी के लिए एक मौका मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि हर परिवार में एक नौकरीपेशा व्यक्ति हो। कई लोग तर्क देते हैं कि यह कहना जितना आसान है, करना उतना आसान नहीं है, लेकिन तेजस्वी खुद को इसी तरह पेश करना चाहते हैं।
तेजस्वी को पता है कि उनके पिता लालू प्रसाद यादव का अतीत कुछ ऐसा है, जिसे उन्हें दूर करना है, इसलिए उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने को अपने नारे के स्तंभों में से एक बनाया है।
जब नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली और NDA के साथ हाथ मिलाया, तो गठबंधन ने विकास को मंत्र के रूप में अपना लिया। ‘सुशासन बाबू’ टैग ने यह सुनिश्चित किया कि नीतीश कुमार सत्ता में बने रहें।
NDA इसे अपनी USP बनाना चाहता है, वहीं महागठबंधन इस कहानी को हवा देने पर तुला है। अपनी युवा छवि के साथ, तेजस्वी को उम्मीद है कि वे रोजगार और बेहतर जीवन के अपने वादे के जरिए नए बिहारियों को आकर्षित कर पाएंगे। यही वजह है कि उन्होंने अपने प्रचार में 'वोट चोरी' का जिक्र नहीं किया, क्योंकि वे विकास पर ध्यान केंद्रित रखना चाहते हैं और किसी भी तरह का भटकाव नहीं होने देना चाहते।
हालांकि, राहुल गांधी ने इस काम में अड़ंगा डाल दिया। जब राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया, तो RJD नेता की चुप्पी साफ दिखाई दी। इतना ही नहीं, छठ पूजा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाने और यह कहने से कि वे "वोटों के लिए भरतनाट्यम" भी सकते हैं, इससे मामला और बिगड़ गया।
बदकिस्मती से, पहली संयुक्त रैली तेजस्वी के विकास के नारे के लिए नहीं, बल्कि राहुल गांधी के बयानों के लिए सुर्खियां बटोरीं। इससे BJP को एक हथियार मिल गया है, जिससे पार्टी के लिए तेजस्वी के नए बिहार के विचार के बजाय राहुल गांधी के शब्दों के आधार पर महागठबंधन पर हमला करना आसान हो गया है।
गठबंधन में तनाव साफ दिख रहा है, लेकिन BJP से मुकाबले के लिए कांग्रेस और RJD साथ आ गए हैं। जैसे-जैसे यह बेचैनी और स्पष्ट होती जा रही है, क्या इसका असर नतीजों और तेजस्वी यादव की किस्मत पर पड़ेगा?