इस बार के बिहार चुनावों में एक नया 'एमवाय' समीकरण दिख रहा है। इस एमवाय का मतलब-महिला और युवा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनएडी को मिली बंपर जीत में इस नए समीकरण का बड़ा हाथ है। बिहार चुनावों के नतीजों में एनडीए 204 सीटों पर आगे दिख रही है। इसमें बीजेपी की 91, जदूय की 83, एलजेपी की 21, एचएएम की 5 और आरएलएम की 4 सीटें शामिल हैं। उधर, महागठबंधन की सीटें सिमटकर 33 पर आती दिख रही हैं।
राजद ने इस बार भी लगाया था एमवाय समीकरण पर दांव
RJD ने पहले की तरह इस बार भी Muslim-Yadav (MY) समीकरण पर बड़ा दांव लगाया था। लेकिन, इस बार के नतीजों से संकेत मिलता है कि इस बार महिला और युवा वोटर्स ने खुलकर एनडीए के समर्थन में मतदान किया। यह राजद के एमवाय समीकरण पर भारी पड़ा। मनीकंट्रोल ने ऐसी 32 सीटों का विश्लेषण किया, जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इनमें 2020 के 60.2 फीसदी के मुकाबले वोटिंग का प्रतिशत इस बार 74.5 फीसदी रहा।
महिला और युवा वोटर्स ने एनडीए के पक्ष में किया मतदान
मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन के बावजूद महागठबंधन के मुकाबले इन सीटों पर एनडीए को बढ़ती मिलती दिखी। वोटों की गिनती के दौरान पूरे राज्य में यह ट्रेंड दिखा। इस विश्लेषण से यह भी पता चला कि एनडीए मुस्लिम बहुत 32 सीटों में से 71.9 सीटों पर आगे चल रहा था। 2020 के विधानसभा चुनावों में इन सीटों में से सिर्फ 56 फीसदी सीटों पर एनडीए आगे था। इससे पता चलता है कि महिलाओं और युवाओं ने एनडीए के पक्ष में जमकर मतदान किया। इससे महागठबंधन को मुस्लिम वोटों का फायदा नहीं मिला।
नीतीश को लंबे समय से महिला वोटर्स का समर्थन मिलता रहा है
नीतीश कुमार को पहले भी महिला मतदाताओं का समर्थन मिलता रहा है। इस बार पहले और दूसरे चरण के चुनावों में एक जैसा पैटर्न देखा गया। इसमें कई जिलों में महिला मतदताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के बराबर रही या उससे ज्यादा रही। अब इन साइलेंट वोटर्स को नीतीश कुमार की बड़ी ताकत माना जा रहा है। नीतीश कुमार को महिलाओं के लिए शुरू की गई योजनाओं का लाभ मिला है। युवाओं ने भी जमकर मतदान किया। लेकिन, उनका वोट जन सुराज, एआईएमआईएम और निर्दलयी उम्मीदवारों के बीच बंटने की वजह से महागठबंधन को उसका फायदा नहीं मिला।