चुनाव आयोग ने मंगलवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEC) को निर्देश दिए कि आधार कार्ड को भी पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाए। अब बिहार में चल रहे विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) के दौरान वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आधार कार्ड 12वां दस्तावेज माना जाएगा। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद जारी किया गया। इसमें साफ कहा गया है कि आधार कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ पहचान और नागरिकता के सबूत के तौर पर ही किया जाएगा।
इसका मतलब यह है कि अब बिहार की वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आधार कार्ड भी मान्य दस्तावेज होगा। लेकिन नागरिकता साबित करने के लिए आवेदक को पहले से बताए गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक या उसके बराबर का दस्तावेज देना जरूरी होगा।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज माना जाए, लेकिन इसके साथ SIR फॉर्म में एक हस्ताक्षरित घोषणा भी लगानी होगी। आयोग ने आधार कानून 2016 की धारा 9 का हवाला दिया, जिसमें साफ लिखा है कि सिर्फ आधार नंबर या उसकी पुष्टि से किसी को नागरिकता या निवास का अधिकार नहीं मिलता और न ही यह उसका सबूत माना जाएगा।
ध्यान देने वाली बात यह है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) में पहले से ही आधार कार्ड को पहचान साबित करने वाले दस्तावेजों में शामिल किया गया है। इसके अलावा, विशेष पुनरीक्षण (SIR) के तहत इस्तेमाल होने वाले फॉर्म में भी आधार कार्ड का कॉलम होता है। यह कॉलम या तो पहले से भरा होता है (2003 की वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं के लिए) या फिर आवेदक इसे अपनी इच्छा से भर सकता है।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को भेजे गए पत्र में चुनाव आयोग ने निर्देश दिया कि आधार से जुड़े इस आदेश को सख्ती से लागू किया जाए। साथ ही इसे तुरंत सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों, मतदाता पंजीकरण अधिकारियों, सहायक ERO और अन्य संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाया जाए।
चुनाव आयोग (EC) ने कहा है कि उसके आदेश का पालन न करने पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिहार की संशोधित मतदाता सूची (voter list) में नाम जुड़वाने के लिए आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाए। इसे पहचान पत्र (ID proof) के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
हालांकि, जज सुर्या कांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने साफ किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को इसकी असलियत (authenticity) जांचने का अधिकार होगा।
कोर्ट ने आदेश में कहा, “कानून के अनुसार आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, इसलिए इसे नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। लेकिन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) के तहत यह पहचान साबित करने वाले दस्तावेजों में शामिल है।”
सुप्रीम कोर्ट ने EC को मंगलवार तक इस बारे में निर्देश जारी करने को कहा।