एनडीए में शामिल करीब सभी दलों का प्रदर्शन इस बार शानदार रहा। लेकिन, सबसे शानदार प्रदर्शन लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) का दिख रहा है। इस पार्टी ने सिर्फ बिहार में 29 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 20 पर जीतती दिख रही है। यह 75 फीसदी का स्ट्राइक रेट है। इसका श्रेय पार्टी प्रमुख चिराग पासवान को जाता है।
चिराग करते हैं लंबी अवधि की राजनीति
Chirag Paswan लंबी अवधि की राजनीति करते हैं। उनकी इस राजनीति में पार्टी का यह प्रदर्शन चार चांद लगा सकता है। यह लगातार चिराग का दूसरा मास्टर स्ट्रोक है। 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें चिराग की स्ट्रेटेजी और उस पर लगातार फोकस का बड़ा हाथ है। सीटों और उम्मीदवारों के सेलेक्शन में उनका व्यापक कैलकुलेशन शामिल होता है।
बिहार की राजनीति में भी बढ़ेगा दखल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 29 सीटों में से 20 पर जीत से एक तरफ एनडीए में चिराग की पोजीशन मजबूत होगी तो दूसरी तरफ बिहार की राजनीति में भी उनकी दखल होगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिहार के चुनावों में चिराग की पार्टी को जिस तरह से सफलता मिली है, वह इस बात का संकेत है कि उनकी पहुंच सिर्फ दलित मतदाताओं तक सीमित नहीं है बल्कि बड़ी संख्या में लोग उन्हें उम्मीद की किरण के रूप में देख रहे हैं।
चिराग की राजनीति का आधार सिर्फ दलित मतदाता नहीं
चिराग पासवान ने 29 सीटों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव में सिर्फ जाती को आधार नहीं बनाया। उन्होंने अगड़ी जाति, ईबीसी और महिला उम्मीदवारों को मौका दिया। इससे पार्टी को बिहार में अपना आधार बढ़ाने में मदद मिली है। उन्होंने बिहार फर्स्ट का नारा देकर युवाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चिराग दूर की राजनीति करते हैं। वह धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं।
चिराग की नजरें बिहार में भविष्य की राजनीति पर
चिराग पासवान के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वे युवा हैं। उन्हें पता है कि बिहार की राजनीति में आज पुरानी पीढ़ी के नेताओं का वर्चस्व है। समय के साथ ये नेता खुद सक्रिय राजनीति से दूर हो जाएंगे। तब ऐसे नेताओं के लिए बिहार की राजनीति में बड़ी जगह होगी, जिनका कनेक्ट युवाओं के साथ होगा। जिनका फोकस बिहार का सम्मान वापस लाने पर होगा। बिहार के युवा महत्वाकांक्षी हैं। वे बिहार की छवि में बदलाव चाहते हैं। ऐसे में बिहार की राजनीति में चिराग के लिए संभावना बढ़ जाएगी।