Exit Poll का ऐलान, बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार, अब नजरें नए मुख्यमंत्री पर टिकीं
बिहार आबादी के लिहाज से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। यहां विधानसभा की 243 सीटें और लोकसभा की 40 सीटें हैं। बिहार में एनडीए की जीत का मतलब है कि 2026 में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और असम विधानभा चुनावों का सामना एनडीए पूरे आत्मविश्वास के साथ करेगा
इस बार के विधानसभा चुनावों में भी एनडीए का मुकाबला राजद और कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन से था।
बिहार में एग्जिट पोल के नतीजों से एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने के संकेत मिले हैं। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए का चुनाव लड़ने का फैसला फायदेमंद रहा। हालांकि, अभी एग्जिट पोल के नतीजों को सिर्फ फाइनल नतीजों का संकेत माना जाता है। फाइनल नतीजों के लिए 14 नवंबर तक इंतजार करना होगा।
इस बार के विधानसभा चुनावों में एनडीए का मुकाबला राजद और कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन से था। चुनावों के मशहूर रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज पार्टी भी इस बार चुनावी मैदान में थी। लेकिन, एग्जिट पोल में उसकी हालत काफी पतली रहने के संकेत मिले हैं।
न्यूज18 मेगा एग्जिट पोल
न्यूज18 मेगा एग्जिट पोल 2025 के मुताबिक, इस बार एनडीए को 140-150 सीटें मिल सकती हैं। महागठबंधन के खाते में 85-95 सीटें आ सकती हैं। जनसुराज पार्टी को 0-5 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 5-10 सीटें जा सकती हैं।
PMARQ का एग्जिट पोल
अगर अलग-अलग एजेसियों के एग्जिट पोल के नतीजों की बात की जाए तो PMARQ के हिसाब से एनडीए को बिहार में 142-162 सीटें मिलेंगी। महागठबंधन को 80-98 सीटें मिलेंगी। अन्य के खातों में सिर्फ 1-7 सीटें जाएंगी।
दैनिक भास्कर का एग्जिट पोल
दैनिक भास्कर के एग्जिट पोल के हिसाब से एनडीए के खाते में 145-160 सीटें जा सकती हैं। महागठबंधन को 73-91 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 5-10 सीटें जा सकती हैं। जनसुराज के खाते में एक भी सीट जाती नहीं दिख रही है।
चाणक्य का एग्जिट पोल
चाणक्य के मुताबिक भी बिहार में सबसे ज्यादा सीटें एनडीए को मिलने जा रही हैं। इस एग्जिट पोल में महागठबंधन को 100-108 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। चाणक्य के एग्जिट पोल के हिसाब से बिहार में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी जन सुराज पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने जा रही है। अन्य के खाते में 3-5 सीटें जाएंगी।
टाइम्स नाउ जेवीसी का एग्जिट पोल
टाइम्स नाउ जेवीसी के एग्जिट पोल में एनडीए को सबसे ज्यादा 135-150 सीटें जीतने का अनुमान जताया गया है। महागठबंधन को 88-103 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 3-7 सीटें जा सकती हैं।
MATRIZE-IANS का एग्जिट पोल
MATRIZE-IANS के मुताबिक, इस बार एनडीए को बिहार में 147-167 सीटें मिल सकती हैं। महागठबंधन के खाते में 70-90 सीटें जा सकती हैं। अन्य के खाते में 2-6 सीटें जाने का अनुमान जताया गया है।
पीपल्स पल्स का एग्जिट पोल
पीपल्स पल्स के एग्जिट पोल के मुताबिक, इस बार एनडीए को 133-159 सीटें मिल सकती हैं। इसका मतलब है कि राज्य में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनेगी। बिहार में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को कम से कम 123 सीटें चाहिए।
NDA की जीत के मायने
बिहार आबादी के लिहाज से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। यहां विधानसभा की 243 सीटें और लोकसभा की 40 सीटें हैं। बिहार में एनडीए की जीत का मतलब है कि 2026 में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और असम विधानभा चुनावों का सामना एनडीए पूरे आत्मविश्वास के साथ करेगी। इन राज्यों में सिर्फ असम में अभी एनडीए की सरकार है।
2020 में कड़ा था मुकाबला
2020 के विधानसभा चुनावों में एनडीए को महागठबंधन से सिर्फ 0.03 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे। तब मुकाबला काफी कड़ा रहा था। तब एनडीए का स्वरूप भी अलग था। इसमें जदूय और बीजेपी के अलावा मुकेश सहनी की वीआईपी, जीतन राम मांझी की एचएएम शामिल थी। इस बार वीआईपी महागठबंधन का हिस्सा है।
नजरें अब एनडीए के नए सीएम पर टिकीं
अगर 14 नवंबर को एग्जिट पोल के नतीजों पर मुहर लग जाती है तो लोगों की नजरें एनडीए के नए मुख्यमंत्री के चेहरे पर होंगी। चुनाव प्रचार के दौरान इस बार एनडीए के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर सस्पेंस बना रहा। महागठबंधन के नेता यह दावा करते रहे कि एनडीए अगर जीतती है तो वह नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। उधर, एनडीए के नेता शुरुआत में गोलमोल जवाब देने के बाद आखिर में यह कहते सुने गए है कि अगला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। लेकिन, अब भी कई लोगों को नीतीश कुमार के फिर से मुख्यमंत्री बनने को लेकर संदेह है।
एनडीए ने 'सुशासन' पर लगाया था दांव
इस बार भी एनडीए ने सुशासन पर दांव लगाया था। उसने मतदाताओं को पूर्व मुख्यमंत्री के शासनकाल और कथित जंगलराज की याद दिलाई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिहार में एनडीए की जीत का मतलब है कि आज भी बिहार में लोग लालू यादव के बेटे और महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को सत्ता की चाबी सौंपने को तैयार नहीं हैं।