बिहार की राजधानी पटना में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर छात्रों ने एक बार फिर से आंदोलन करना शुरू कर दिया है। उन्होंने "डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं" का नारा लगाते हुए सरकार से जल्द नीति लागू करने की मांग की है। छात्रों का कहना है कि जब तक यह नियम नहीं बनता, वे प्रदर्शन करते रहेंगे। छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि जैसे बाकी राज्यों में यह नियम है, वैसे ही बिहार में भी होना चाहिए। छात्रों का कहना है कि दूसरे राज्य के छात्र बिहार के युवाओं का हक मार रहे हैं, इसीलिए बिहार में डोमिसाइल नीति लागू होनी चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा कि देश के कई राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू है, जहां स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है। तो फिर बिहार में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में वैसे ही उद्योग और फैक्ट्रियां बहुत कम हैं। ऐसे में अगर यहां के युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए भी बाहर के लोगों से मुकाबला करना पड़ता है, और यह बिल्कुल भी सही नहीं है।
छात्र नेता ने आगे कहा कि अब जब चुनाव का साल है, अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरे बिहार में बड़ा आंदोलन होगा। हम मौजूदा सरकार को वोट की चोट देंगे और सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने जोरशोर से "डोमिसाइल नहीं... तो वोट नहीं" का नारा भी लगाया।
दरअसल सड़क पर उतरे छात्र मुख्यमंत्री आवास जाकर नीतीश कुमार से मिलना चाहते थे, और अपनी मांगों को रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें वहां तक जाने नहीं दिया गया। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा और छात्रों को रोक दिया गया। छात्रों की मांग है कि बिहार में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में 100% डोमिसाइल आरक्षण लागू किया जाए। साथ ही, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक, पुलिस (दारोगा/सिपाही), बीपीएससी और अन्य सरकारी नौकरियों में कम से कम 90% सीटें बिहार के स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित की जाएं।
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है, ऐसे में डोमिसाइल नीति को लेकर सड़कों पर उतरे छात्रों का आंदोलन राजनीतिक माहौल को गर्मा रहा है। "डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं" जैसे नारों के साथ युवाओं का आक्रोश साफ दिख रहा है, जो आने वाले चुनावों में सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।