Prashant Kishor News: प्रशांत किशोर ने बुधवार (19 नवंबर) को कहा कि पिछले हफ्ते बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी की करारी हार होने के बाद से वह ठीक से सो नहीं पाए हैं। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का उनका निर्णय गलती माना जा सकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि उनकी पार्टी को चार प्रतिशत से कम वोट मिलेंगे। हाल में समाप्त हुए विधानसभा चुनावों में जन सुराज पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।
किशोर ने NDTV से कहा कि चुनाव नतीजे एक बहुत बड़ा झटका थे। लेकिन वह बिहार के राजनीतिक क्षेत्र में अपनी कोशिशें जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, "जब तक आप हार नहीं मानते, तब तक हार नहीं मानते।" उन्होंने आगे कहा, 'BJP के भी एक समय सिर्फ दो सांसद थे। जब आप कोई पार्टी बनाते हैं, तो ऐसे नतीजे आ सकते हैं। लेकिन हमने जाति और धर्म का जहर नहीं फैलाया। हम फिर से कोशिश करेंगे।"
किशोर ने कहा कि उन्होंने बिहार के कल्याण के लिए 10 साल समर्पित किए हैं। उन्होंने कहा, "मैंने बिहार में इस प्रयास के लिए 10 साल समर्पित किए थे। लगभग साढ़े तीन साल बीत चुके हैं। बेशक, मैंने 10वें साल में सफलता का स्वाद चखने की योजना नहीं बनाई थी। हमें यकीन था कि हम तीन साल में सफल हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हम फिर से कोशिश करेंगे।"
जन सुराज पार्टी प्रमुख के अनुसार, उनकी पार्टी के प्रयासों को चुनावी सफलता तो नहीं मिली। लेकिन वे बिहार में राजनीतिक विमर्श को जाति और धर्म से हटाकर रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों पर ले जाने में कामयाब रहे। जन सुराज पार्टी को राज्य भर में 16.77 लाख वोट मिले। प्रशांत की पार्टी ने जिन 238 सीटों पर चुनाव लड़ा। उनमें से 236 पर उसकी जमानत जब्त हो गई। इनमें से 230 सीटों पर उसका वोट शेयर 10 प्रतिशत से भी कम रहा।
किशोर ने एनडीटीवी को बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जन सुराज को सिर्फ 4 प्रतिशत वोट मिलेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव से पहले कभी कोई सर्वेक्षण नहीं करवाया। उन्होंने कहा, "मैंने बिना सोचे समझे दांव खेला। मेरा अनुमान था कि हमें 12-15 प्रतिशत वोट मिलेंगे। लेकिन यह 3.5 प्रतिशत ही रहा। इसलिए हमें विश्लेषण करने की जरूरत है।"
किशोर ने कहा, "चुनाव नहीं लड़ने का मेरा फैसला गलती माना जा सकता है। संतोषजनक परिणाम पाने के लिए हमें अभी बहुत काम करना है। मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि हमारी पार्टी को चार प्रतिशत से कम वोट मिलेंगे।" पूर्व चुनावी रणनीतिकार ने यह भी कहा कि बिहार में जीत हासिल करने की उनकी कोशिश जारी रहेगी। उन्होंने कहा, "बिहार जीते बिना मैं पीछे नहीं हटूंगा। इसमें कितना समय लगेगा, मैं नहीं जानता।"
किशोर ने मंगलवार को यह भी दावा किया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) को सिर्फ 25 सीटों पर सीमित रहना पड़ता। यदि उनकी सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हर विधानसभा क्षेत्र में 60,000 से अधिक लाभार्थियों को 10,000 रुपये नहीं दिए होते और पूरे राज्य की 1.5 करोड़ महिलाओं को स्व-रोजगार योजना के तहत दो लाख रुपये देने का वादा नहीं किया होता। किशोर ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने जनता के पैसों से 40,000 करोड़ रुपये की घोषणाएं कीं और चुनाव से ठीक पहले बड़ी राशि बांटी गई।
किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम लोग साढ़े तीन साल पहले व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प के साथ निकले थे। जनता की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने के लिए मैं माफी मांगता हूं। जिस सोच और सपनों के आधार पर लोग हमारे साथ जुड़े, उस अनुरूप व्यवस्था नहीं बना पाया। यह मेरी जिम्मेदारी है।"
उन्होंने कहा, "ईमानदार प्रयास किया, लेकिन परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं आए। मैं इसकी सौ फीसदी जिम्मेदारी लेता हूं।" उन्होंने घोषणा की है कि वह दो दिन बाद गांधी आश्रम में 24 घंटे का उपवास रखेंगे। किशोर ने दावा किया कि इस चुनाव में बिहार की राजनीति स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ऐसे मोड़ पर पहुंची। जहां करीब 40,000 करोड़ रुपए की योजनाएं चुनाव के दौरान जनता तक पहुंचाई गईं।