Tejashwi Yadav: आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल तेज है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोमवार, 15 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट के मंत्री जीवेश मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने दावा किया कि मंत्री ने अपने क्षेत्र में सड़क की हालत पर एक पत्रकार द्वारा सवाल पूछे जाने पर भड़क गए, और पत्रकार की पिटाई करवाई और खुद भी इस हमले में शामिल रहे।
तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें कथित तौर पर मंत्री जीवेश मिश्रा पुलिसकर्मियों से कहते नजर आ रहे हैं, पीटो इसको। इस वीडियो ने पूरे राज्य में सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। तेजस्वी ने कहा कि यह घटना सिर्फ पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है।
यह मामला दरभंगा जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र का बताया जा रहा है। यहां के युवा पत्रकार धीरज ने सड़क निर्माण की खराब स्थिति पर मंत्री से सवाल किया था। आरोप है कि इस पर मंत्री के समर्थकों ने धीरज की बेरहमी से पिटाई कर दी। तेजस्वी का कहना है कि पत्रकार ने थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया।
इसके साथ ही तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या बिहार में कानून का राज खत्म हो गया है? गरीब को शराबबंदी के नाम पर पकड़कर जेल भेज दिया जाता है, लेकिन जब मंत्री खुद अपराध करते हैं तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। क्या इस पत्रकार को इंसाफ मिलेगा? तेजस्वी यादव ने याद दिलाया कि जीवेश मिश्रा का नाम पहले भी विवादों में रह चुका है। उन पर नकली दवा बेचने का मामला दर्ज है, बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें कैबिनेट में शामिल किया। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के जाले दौरे के दौरान ही पत्रकार धीरज की पिटाई करवाई। उन्होंने कहा कि इससे साफ हो गया है कि बिहार में पूरी तरह अराजकता है और जंगलराज लौट आया है।
पीएम मोदी के बिहार दौरे पर भी कसा तंज
तेजस्वी यादव ने इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से भी जोड़ा। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार दौरे पर आ रहे है। जिसमें वें बिहार की जनता ही 40,000 करोड़ रुपए की सौगात देंगे। इस पर तेजस्वी ने कहा, आज प्रधानमंत्री बिहार आ रहे हैं। हम उनसे मांग करते हैं कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री को निर्देश दें कि जीवेश मिश्रा को तुरंत बर्खास्त किया जाए और जेल भेजा जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो साफ हो जाएगा कि बिहार में दो तरह के कानून हैं, एक गरीबों के लिए और दूसरा सत्ता में बैठे नेताओं के लिए।
इस घटना ने बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। जहां एक तरफ NDA विकास की राजनीति का दावा कर रही है, वहीं तेजस्वी यादव जैसे नेता कानून-व्यवस्था और पत्रकारों की सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाने की रणनीति में जुटे हैं।