Jharkhand Mainiya Samman Yojana: झारखंड दिव्यांग आंदोलन संघ के बैनर तले सैकड़ों दिव्यांगजनों ने अपनी पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर राजभवन से अल्बर्ट एक्का चौक तक पैदल मार्च किया। प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से दिव्यांग पेंशन को बढ़ाकर 5,000 रूपये प्रतिमाह करने की मांग की। रांची दिव्यांग संघ के नेतृत्व में दिव्यांगजन और विधवाओं ने जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये दिए जा सकते हैं। तो फिर उन्हें क्यों सिर्फ 1,000 रुपये दी जा रही है। उन्होंने अपनी पेंशन 2,500 रुपये करने की मांग की।
प्रदर्शन में शामिल दिव्यांग आशीष ने 'लोकल 18' को बताया कि उनका एक हाथ नहीं है, फिर भी सरकार उन्हें सिर्फ 1,000 रुपये देती है। उन्होंने आगे कहा, "मंईयां सम्मान योजना की महिलाएं जिनके हाथ-पैर सब सही हैं। उनकी उम्र भी कम है। फिर भी उन्हें 2,500 रुपये हर महीने दिए जा रहे हैं। लेकिन हम जैसे अपाहिजों की सुध कोई नहीं लेता। क्या हमें इसकी जरूरत नहीं है है?"
आशीष के साथ-साथ प्रोटेस्ट कर रहे दिव्यांग प्रदीप ने कहा कि हालात इतने खराब हैं कि कभी-कभी एक वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल होता है। उन्होंने अपना दर्ज बयां करते हुए कहा कि हमसे ज्यादा इस सहायता की जरूरत किसी को नहीं है। सरकार को पहले हमारे हालात देखने चाहिए थे।"
महिलाओं ने बताया कि झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की एकमुश्त तीन किस्त 7,500 रुपये पिछले 8 से 13 मार्च तक भेज दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वर्तमान में दिव्यांग पेंशन मात्र 1,000 रुपये है। जबकि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 2,500 रुपये दिए जा रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार दिव्यांगों की उपेक्षा कर रही है। दिव्यांग नीरज ने कहा, "हम यह नहीं कह रहे कि मंईयां को पैसे न दो, उन्हें भी मिलना चाहिए। लेकिन हमारी जरूरत उनसे कहीं ज्यादा है। अगर महिलाओं को 2,500 रुपये मिल सकते हैं, तो हमें क्यों नहीं? क्या हमारा दर्द कम है?"
प्रदर्शन में विधवा महिलाएं भी शामिल थीं। एक विधवा महिला ने कहा, "हमारे पास अब खोने को कुछ नहीं है। सरकार हमें गंभीरता से नहीं लेती। लेकिन इस बार हम पीछे नहीं हटेंगे। जब तक सरकार हमारी बात नहीं सुनेगी, हम धरने से नहीं हटेंगे।" रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी।