भोजपुरी सिनेमा की वो अमर क्लासिक 'नदिया के पार' बड़े पर्दे पर धमाल मचाने लौट आई है। 1982 में रिलीज हुई इस फिल्म ने भोजपुरी को नेशनल लेवल पर पहचान दिलाई थी, और अब 43 साल बाद बिहार के पटना में स्पेशल स्क्रीनिंग हो रही। राजश्री प्रोडक्शंस की ये मास्टरपीस बिहार स्टेट फिल्म डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉर्पोरेशन के 'कॉफी विद फिल्म' प्रोग्राम के तहत गांधी मैदान के रीजेंट सिनेमा कैंपस, हाउस ऑफ वैरायटी में दिखाई जाएगी। बिहार सरकार के कला, संस्कृति और युवा विभाग की ये पहल युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का कमाल का तरीका है। इसके साथ ही फिल्म के बाद डिस्कशन भी होने की संभावना है।
फिल्म में सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की जोड़ी ने जलवा बिखेरा था। ग्रामीण भारत की सादगी, कोहबर की शर्त पर बेस्ड केशव प्रसाद मिश्र के नॉवेल से प्रेरित ये स्टोरी गोविंद मूनिस के डायरेक्शन में बनी। महज 18 लाख बजट में बनी फिल्म ने 5 करोड़ से ज्यादा कमाए। यह फिल्म उस जमाने की सुपरहिट फिल्म थी। सूरज बड़जात्या की 'हम आपके हैं कौन' तक को इंस्पायर करने वाली चंदन-गुंजा की लव स्टोरी आज भी दिल छू लेती। जौनपुर के विलेजेस में शूट हुई सीन, लोकगीत जैसे 'तंग करने का तोसे नाता है गुजरिया' आज भी गुनगुनाते हैं लोग।
फिल्म में सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की जोड़ी ने दर्शकों को खूब भाया। उनकी मासूम अदाकारी और नैसर्गिक अभिनय ने इस फिल्म को खास बनाया। इसके अलावा इंद्राणी मुखर्जी और मानेक इरानी जैसे कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाओं से फिल्म को यादगार बनाया।
43 साल बाद जब यह फिल्म फिर से सिनेमाघरों में आ रही है, तो पुराने दर्शकों के लिए यह नॉस्टैल्जिया का मौका होगा और नई पीढ़ी के लिए भारतीय सिनेमा की क्लासिक धरोहर को देखने का अवसर। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म को चुनिंदा सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा ताकि दर्शक बड़े पर्दे पर इसकी खूबसूरती का आनंद ले सकें।
फैंस सोशल मीडिया पर एक्साइटेड है । राजश्री की फैमिली ड्रामा ट्रेडिशन को सेलिब्रेट करने का परफेक्ट मौका है। क्या ये री-रिलीज पूरे देश में धूम मचाएगी?