Cinema ka Flashback: आशा भोसले का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 92 साल की उम्र में भी उनकी आवाज का जादू आज भी कायम है। उनकी गायकी का सफर 14 भाषाओं में 12000 गानों से सजा है, जिसमें कैबरे से लेकर भजन, रोमांटिक गाने, गजल तक हर शैली का संगीत शामिल है। आज भी उनकी आवाज में वही खनक और ताजगी है, जैसे तब थी जब उन्होंने ‘दम मारो दम’ या ‘ये मेरा दिल’ जैसे गाने गाए थे। लेकिन, उनकी खूबसूरत आवाज के पीछे ऐसी तकलीफों का सिलसिला रहा है, जिसने हर कदम पर उनकी सहनशीलता का इम्तहान लिया है।
कम उम्र में उठानी पड़ी परिवार की जिम्मेदारी
शास्त्रीय गायक दीनानाथ मंगेश्कर के पांच बच्चों में से एक आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 में महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। नौ साल की उम्र में पिता के गुजरने के बाद बचपन कष्टों में बीता। बहुत कम उम्र में उन्हें परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए प्लेबैक सिंगिंग शुरू करनी पड़ी। आशा का प्लेबैक सिंगिंग का कॅरियर अभी रफ्तार पकड़ ही रहा था कि उनके एक गलत फैसले से निजी जिंदगी में भूचाल आ गया।
एक गलत फैसले ने मचा दी जिंदगी में हलचल
आशा भोसले की आवाज में कुछ ऐसी बात थी, जो उस समय के ज्यादातर गायकों में नहीं थी। मगर उनका एक गलत फैसला, उन पर बहुत भारी पड़ गया। 1946 में मात्र 16 साल की उम्र में अपनी बड़ी बहन लता मंगेश्कर के सेक्रेटरी 31 साल के गणपत राव भोसले के साथ भागकर शादी कर ली।
आशा के इस फैसले से पूरा मंगेश्कर परिवार सदमे में आ गया। लता मंगेश्कर सहित पूरे परिवार ने आशा भोसले के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए। कविता छिब्बर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने माना था, ‘मैं बहुत कम उम्र में अपने से 20 साल बड़े शख्स से शादी की थी। लता दीदी मेरे फैसले के खिलाफ थीं और उन्होंने काफी समय तक मुझसे बात नहीं की थी।’
गणपत राव भोसले का परिवार रूढ़ीवादी था और उन्हें गाना गाने वाली बहू रास नहीं आ रही थी। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने घरेलू हिंसा और बुरा बर्ताव झेला। रिश्ते सामान्य होने के बावजूद उनके पति गणपत राव उन्हें लता मंगेश्कर से मिलने नहीं देते थे औ उन्हें पैसों के लिए तंग करते थे। आखिर में जब वो सबसे छोटे बेटे आनंद की मां बनने वाली थीं, तब उन्हें अपने पति के घर से निकाल दिया गया। इसका जिक्र उन्होंने अपनी बायोग्राफी ‘आशा भोसले : ए लाइफ इन म्यूजिक’ में भी किया है।
1960 में पति से अलग होने के बाद बनाई नई पहचान
1960 में वह अपने पति गणपत राव भोसले से अलग हो गईं। अब उनके कंधों पर तीन बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी। ऐसे में अपने हुनर गायकी से उन्हें सहारा मिला और उन्होंने एक के बाद एक कई हिट गाने दिए। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें ‘क्वीन ऑफ इंडीपॉप’ का खिताब मिला।
1980 में प्यार ने दोबारा दस्तक दी
आशा भोसले ने एक नाकाम शादी और तीन बच्चों की मां बनने के बाद अपना जीवन संगीत को समर्पित कर दिया था। लेकिन 1980 में आरडी बर्मन के रूप में प्यार ने दोबारा उनकी जिंदगी में दस्तक दी। बर्मन उनसे उम्र में छोटे थे, लेकिन दोनों की केमेस्ट्री काफी मिलती थी और इस जोड़ी ने फिल्म इंडस्ट्री को कई कमाल के गाने दिए। इस शादी की भी अपनी मुश्किलें रहीं और बर्मन की शराब की लत से तंग आकर अंतत: आशा भोसले की ये शादी भी नहीं चल पाई।