बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह की फिल्म धुंरधर की इस समय काफी चर्चा में हैं। फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है, जो फैंस को काफी पसंद आया रहा है। रणवीर सिंह की फिल्म धुंरधर 5 दिसंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। वहीं इस फिल्म में रणवीर सिंह का लुक काफी अलग है। इस फिल्म का ट्रेलर में गोलियों, धमाकों और सिक्रेट मिशन को देखकर ये फिल्म एक रियल लाइफ स्टोरी पर बेस्ड लगती है। हालांकि मेकर्स ने अभी फिल्म की कहानी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया है। फिल्म के ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही स्पेशल फोर्स के जांबाज कमांडो मेजर मोहित शर्मा की काफी चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कौन है मोहित शर्मा, जिनकी बहादुरी और सूझबूझ से भारत की सुरक्षा व्यवस्था को नई ताकत दी।
हरियाणा के रोहतक में जन्मे मोहित शर्मा बचपन से ही देश की सेवा करना चाहते थे। मेजर मोहित शर्मा भारतीय सेना की खास यूनिट 1 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) का हिस्सा थे, जिसे सबसे खतरनाक, गुप्त मिशनों के लिए तैयार किया जाता है। मोहित शर्मा ने नेशनल डिफेंस अकादमी से अपनी पढ़ाई पूरी की और इसके बाद इंडियन मिलिट्री अकादमी में ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के दौरान उनके अधिकारी उनकी लीडरशिप, कठिन हालात में भी साफ सोच और मजबूत हौसले की हमेशा सराहना करते थे। उनके साथ काम करने वाले भी बताते हैं कि मोहित शर्मा हर मिशन में सबसे आगे रहते थे, खूब मेहनत करते थे और किसी चुनौती से कभी नहीं डरते थे।
जब मोहित ने बदला पूरा लुक
मेजर मोहित शर्मा का सबसे साहसिक मिशन 2004 में शोपियां (श्रीनगर से लगभग 50 किमी दूर) में हुआ था। इस ऑपरेशन में उन्होंने अपनी पहचान बदलकर इफ्तिखार भट्ट नाम से सीक्रेट पहचान बनाई। जो दिखने में ऐसा व्यक्ति था जो भारतीय सेना से अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता है। इस किरदार को निभाने के लिए उन्होंने अपने कपड़े, बोलने का अंदाज और पूरा लुक बदल लिया। इतना कि स्थानीय लोग भी मान बैठे कि वह बिल्कुल कोई और व्यक्ति है।
मुजाहिदीन के टेरर नेटवर्क में की घुसपैठ
लंबे बाल, घनी दाढ़ी और बदले हुए रूप में मेजर मोहित शर्मा ने हिजबुल मुजाहिदीन के टेरर नेटवर्क में अंदर तक घुसपैठ कर ली थी। कई महीनों तक वे उन्हीं लोगों के बीच रहे जिन्हें पकड़ने या खत्म करने की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। इस दौरान उन्होंने उनका भरोसा जीता, उनकी पूरी व्यवस्था, उनके ठिकाने, सुरक्षित घर, आने-जाने के रास्ते और हर मूवमेंट को बारीकी से समझा। ये मिशन बहुत धैर्य, कड़े अनुशासन और बिना गलती के पूरी सावधानी से करना होता है।
आखिर में उनकी पहचान सामने आ ही गई और उस दिन जानलेवा एनकाउंटर शुरू हो गया। हमले के बीच भी मेजर मोहित शर्मा ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दो बड़े आतंकियों अबू तोरारा और अबू सबजार को मार गिराया। ये ऑपरेशन कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षा बलों की सबसे सफल अंडरकवर कार्रवाइयों में से एक माना जाता है।
कुपवाड़ा मुठभेड़ में हुए शामिल
मार्च 2009 में मेजर मोहित शर्मा कुपवाड़ा जिले में एक और मुश्किल ऑपरेशन का हिस्सा थे। ये इलाका घने जंगलों से भरा था और अक्सर घुसपैठ और अचानक मुठभेड़ों के लिए जाना जाता था। मिशन के दौरान उन्हें गोली लग गई, लेकिन गंभीर चोट के बावजूद वे अपनी टीम का नेतृत्व करते रहे और इस भिड़ंत चार आतंकवादियों को मार गिराया। उनकी बहादुरी से कई सैनिकों की जान बच सकी। लेकिन चोट ज्यादा होने के कारण उनकी मौत हो गई और देश ने अपने सबसे बहादुर और कुशल अधिकारियों में से एक को खो दिया।
मोहित शर्मा को उनकी अद्भुत बहादुरी, समझदारी और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत देश के सर्वोच्च अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, जो भारत का शांति के समय का सबसे बड़ा बहादुरी सम्मान है।