दिग्गज एक्टर मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका निधन शुक्रवार (4 अप्रैल 2025) को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में हो गया था। मुंबई में जुहू स्थित पवनहंस श्मशान घाट पर उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर लाया गया। यहां उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने मुखाग्नि दी। उनके अंतिम संस्कार में प्रेम चोपड़ा, सलीम खान, सुभाष घई, अमिताभ बच्चन बेटे अभिषेक के साथ शामिल हुए। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उनके परिवार और रिश्तेदार के अलावा भारी संख्या में फिल्मी सितारे और फैन्स भी आसपास मौजूद थे।
पवन हंस में अंतिम संस्कार से पहले एक्टर के घर पर तैयारियां शुरू थी। मनोज कुमार के निधन के बाद से उनके लिए हर कोई भावुक और मायूस दिखा और नम आंखों से उन्हें विदाई दी। उनके अंतिम संस्कार में धर्मेन्द्र से लेकर हेमा मालिनी, सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, कंगना रनौत जैसी तमाम सिलेब्रिटीज़ ने एक्टर के निधन पर दुख जताया और उन्हें याद किया।
मनोज कुमार 21 फरवरी से कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती थे
बताया जाता है कि मनोज कुमार 21 फरवरी से कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती थे। एक्टर उम्र को लेकर सांस और हार्ट की बीमारी से जूझ रहे थे। वहीं अस्पताल ने भी एक ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी कर बताया था कि मनोज कुमार के पार्थिव शरीर को अस्पताल में ही रखा गया था। प्रेम चोपड़ा ने भी उनके बारे में कहा कि हम शुरुआत से ही साथ थे। यह एक शानदार सफर रहा। उनके साथ काम करके हर किसी को फायदा हुआ। मुझे भी उनसे बहुत कुछ मिला। वह मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे, बल्कि कह सकता हूं कि वह मेरे सबसे अच्छे दोस्तों में से एक थे। मनोज कुमार के अंतिम संस्कार के बाद अभिनेता की पत्नी शशि गोस्वामी अपने पति के पार्थिव शरीर से लिपटकर फूट-फूटकर रोती नजर आईं।
मनोज कुमार का करियर और सम्मान
मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को हुआ था। उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था। यूं तो उन्होंने बड़े पर्दे पर कई किरदारों में जान डाली है, लेकिन उन्हें देशभक्ति से भरी फिल्मों के लिए ज्यादा पहचान मिली है। इसी वजह से उन्हें भारत कुमार कहा जाता था। भारतीय सिनेमा में अपने शानदार योगदान के लिए मनोज कुमार ने कई अवॉर्ड अपने नाम किए हैं।
भारत सरकार ने उन्हें 1992 में पद्मश्री और 2016 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा, उन्हें 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले, जिनमें 1968 में ‘उपकार’ के लिए बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के अवॉर्ड शामिल हैं। उन्हें एक नेशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है।