Dharmendra Political Career: हिंदी सिनेमा में ‘ही-मैन’ के नाम से मशहूर दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र ने न सिर्फ फिल्मों में बल्कि राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई। बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र ने 2004 में बीजेपी के टिकट पर राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता था। लेकिन 5 साल के कार्यकाल के बाद ही उन्होंने राजनीति से हमेशा के लिए मुंह फेर लिया था। सनी देओल ने इसके पीछे की वजह का खुलासा किया था।
साल 2004 में दिग्गज एक्टर बीजेपी के साइनिंग इंडिया कैंपेन से बहुत ज्यादा प्रभावित हो गए थे। इसके बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री की। शत्रुघ्न सिन्हा के साथ वह बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी से मिलने पहुंचे थे। इस मुलाकात के बाद उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ।
बीजेपी ने धर्मेंद्र को राजस्थान के बीकानेर से चुनाव मैदान में उतारा। अपनी लोकप्रियता के चलते धर्मेंद्र ने करीब 60,000 वोटों के अंतर से कांग्रेस के रमेश्वर लाल डूडी को करारी शिकस्त दी और संसद में जा पहुंचे। हालांकि उनका यह राजनीतिक सफर 5 साल पूरा होने के बाद एक हताशा में बदल गया। उन्होंने इसके बाद कभी चुनाव न लड़ने की कसम खा ली।
धर्मेंद्र का राजनीतिक करियर बेहद कम रहा है। धर्मेंद्र ने अपनी फिल्म ‘शोले’ के डायलॉग का इस्तेमाल चुनाव मैदान में करते हुए लोगों से वादा किया था कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानेगी, तो वह संसद की छत पर खड़े होकर छलांग लगा देंगे। लेकिन जब उन्होंने जबरदस्त जीत दर्ज की तो वे अपने कार्यकाल के दौरान जनता के बीच गए ही नहीं, जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी।
धर्मेंद्र का राजनीतिक करियर फिल्मों की तरह सक्सेस नहीं हो पाया। वे अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान अपने संसद में उपस्थित ही नहीं होते थे। बीकानेर की जनता अक्सर शिकायत करती थी कि सांसद अपने इलाके में वक्त ही नहीं देते हैं और ज्यादातर समय अपनी फिल्मों की शूटिंग या फार्महाउस पर ही बने रहते हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना था कि वह भले सामने न आते हो पर पीछे से उन्होंने बहुत काम किया है।
2009 में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद धर्मेंद्र ने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा। उनके बेटे सनी देउल ने एक इंटरव्यू में इसकी वजह बताते हुए कहा था कि उन्हें राजनीति पसंद नहीं आई। चुनाव लड़ने का उनको पछतावा था। धर्मेंद्र ने भी एक बार इसे लेकर कहा था कि ‘काम मैं करता था, क्रेडिट कोई और लेता था।’ शायद ये जगह मेरे लिए नहीं थी।