Gold Rate Today In India: वैश्विक स्टॉक मार्केट की अनिश्चितता के बीच सेफ हैवन एसेट के रूप में गोल्ड और सिल्वर की मांग बनी हुई है। कुछ समय पहले इनमें गिरावट को निवेशकों ने मौके के रूप में लपक लिया। इसके चलते सोने और चांदी के भाव आज लगातार दूसरे दिन मजबूत हुए हैं। राजधानी दिल्ली में आज 24 कैरेट गोल्ड प्रति दस ग्राम ₹10 और 22 कैरट गोल्ड भी ₹10 महंगा हुआ है। दो दिन में 24 कैरट गोल्ड के भाव प्रति दस ग्राम ₹1810 और 22 कैरट गोल्ड के भाव ₹1660 ऊपर चढ़े हैं। अब चांदी की बात करें तो एक किलो चांदी दिल्ली में लगातार दूसरे दिन महंगी हुई है। तीन दिनों की स्थिरता के बाद दो दिनों में एक किलो चांदी ₹4600 महंगी हुई है।
देश के 10 बड़े शहरों में 10 ग्राम 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने की कीमत क्या है, आइए जानते हैं...
तीन दिनों की स्थिरता के बाद चांदी लगातार दूसरे दिन चमकी
चांदी की बात करें तो लगातार दो दिनों में दिल्ली में इसके भाव प्रति किग्रा ₹4600 बढ़े हैं। इससे पहले लगातार तीन दिनों तक चांदी की चमक स्थिर थी। आज 11 नवंबर को दिल्ली में चांदी ₹1,57,100 प्रति किलोग्राम में बिक रही है। आज इसके भाव प्रति किग्रा ₹100 बढ़े हैं। बाकी अहम महानगरों की बात करें तो मुंबई और कोलकाता में भी यह इसी भाव पर बिक रही है लेकिन चेन्नई में चांदी के भाव प्रति किग्रा ₹1,69,100 हैं यानी कि चारों बड़े महानगरों में सबसे महंगी चांदी चेन्नई में है।
गोल्ड और सिल्वर को किन बातों से मिल रहा सपोर्ट?
किटको मेटल्स के सीनियर एनालिस्ट जिम वायकॉफ का कहना है कि अमेरिकी स्टॉक्स के हाई वैल्यूएशन और एआई स्टॉक्स के बुलबुले के बीच वैश्विक शेयर बाजारों में थोड़ी अस्थिरता के चलते सेफ हैवन एसेट के रूप में सोने-चांदी की मांग मजबूत बनी है। इसके अलावा इन्हें अमेरिकी फेड के इस साल के आखिरी तक एक बार और दरों में कटौती के फैसले की संभावना से सपोर्ट मिल रहा है। दरों के कम होने से आमतौर पर सोने और चांदी को खरीदने की लागत कम हो जाती है जिससे इनकी मांग बढ़ती है।
मेहता इक्विटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटीज) राहुल कलंत्री का कहना है कि अमेरिका में बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने और चांदी की मांग बढ़ी है। इसकी गिरावट पर निवेशकों को मौका मिला और खरीदारी शुरू कर दी जिससे ये फिर चमक उठे। बता दें कि न्यूयॉर्क सिटी मेयर चुनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पार्टी की हार ने अगले मध्यावधि चुनावों से पहले चिंताएं बढ़ा दी हैं।
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