Income Tax Raid: साल 1981 में कानपुर के उद्योगपति और पूर्व राज्यसभा सांसद इंदर सिंह के घर पर पड़ी आयकर विभाग की रेड को भारत के इतिहास की सबसे बड़ी छापेमारी माना जाता है। देश की पहली स्टील री-रोलिंग मिल और उत्तर भारत की सबसे बड़ी रेलवे वैगन फैक्ट्री स्थापित करने वाले इंदर सिंह इस हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन के बाद सुर्खियों में आ गए। इस व्यापक छापेमारी की कहानी इतनी सनसनीखेज थी कि इससे प्रेरित होकर बाद में बॉलीवुड फिल्म 'रेड' बनी।
18 घंटे चली थी नोटों की गिनती, बरामद हुआ था खजाना
यह छापेमारी लगभग एक महीने तक चली थी, जिसमें 90 से अधिक आयकर अधिकारी और 200 पुलिसकर्मी शामिल थे। बरामद संपत्तियों की विशाल मात्रा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब्त नकदी की गिनती के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारियों सहित 45 लोगों की एक टीम को लगाया गया था, जिसने 18 घंटे तक लगातार काम किया था। छापेमारी में जो खजाना बरामद हुआ, वह कुछ इस प्रकार था:
सोना: 750 तोला (लगभग 87 किलोग्राम)।
ज्वेलरी और संपत्ति: इसमें दो सोने की ईंटें, लगभग ₹8 लाख के आभूषण, और ₹1.85 लाख मूल्य की 144 गिनी (सिक्के) शामिल थे।
इंदर सिंह की पत्नी मोहिंदर कौर के आवास से 500-500 तोला की दो सोने की ईंटें और 144 सोने के सिक्के जब्त किए गए, जिसका कुल वजन 6,977 ग्राम था। यह बरामदगी गोल्ड (कंट्रोल) एक्ट, 1968 का उल्लंघन थी।
सरदार इंदर सिंह की प्रतिष्ठा को इस ऑपरेशन से गहरा धक्का लगा था। आयकर विभाग ने इंदर सिंह, उनकी पत्नी मोहिंदर कौर, उनके चार बेटों, दो दामादों और परिवार के अन्य सदस्यों को कानूनी नोटिस जारी किए। मोहिंदर कौर के खिलाफ केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग ने गोल्ड (कंट्रोल) एक्ट, 1968 का उल्लंघन करने के लिए अलग से कार्रवाई भी की।
सरदार इंदर सिंह भारत के औद्योगिक क्षेत्र के शुरुआती दिग्गजों में से एक थे। 1928 में उन्होंने कानपुर में 'सिंह इंजीनियरिंग वर्क्स' की स्थापना की, जो भारत की पहली स्टील री-रोलिंग मिल बनी। बाद में उन्होंने उत्तर भारत की सबसे बड़ी रेलवे वैगन फैक्ट्री, 'सिंह वैगन फैक्ट्री' स्थापित की। वह भारतीय रेलवे को टाई बार की आपूर्ति करने वाले सबसे बड़े सप्लायर भी बन गए थे। उनकी व्यावसायिक सफलता और बाद में उनके आवास पर हुई इस ऐतिहासिक छापेमारी ने ही इस घटना को भारतीय इतिहास में एक यादगार घटना बना दिया, जिसे बाद में बड़े पर्दे पर भी उतारा गया।