8th Pay Commission: पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई बनीं अध्यक्ष, वेतन आयोग के गठन को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के साथ दो सदस्यों के नाम भी तय

8th Pay Commission: केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को 8वें वेतन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके अलावा वेतन आयोग में एक सदस्य (अंशकालिक) और एक सदस्य-सचिव के नाम भी घोषित किए गए हैं। जानिए कौन हैं पूर्व न्यायमूर्ति देसाई

अपडेटेड Oct 28, 2025 पर 9:59 PM
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आठवां वेतन आयोग लगभग 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देने के साथ ही इसके अध्यक्ष सहित दो सदस्यों के नामों की मंगलवार, 28 अक्टूबर को घोषणा कर दी। आज केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को 8वें वेतन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में वेतन आयोग में एक सदस्य (अंशकालिक) और एक सदस्य-सचिव के नाम भी घोषित किए गए हैं। आईआईएम बेंगलुरू के प्रोफेसर पुलक घोष को सदस्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन को सदस्य-सचिव नियुक्त किया गया है।

यह आयोग केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 70 लाख पेंशनर्स के वेतन और भत्तों की समीक्षा करेगा। देसाई के नेतृत्व में 8वां वेतन आयोग केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले सभी हितधारकों से मुलाकात करेगा।

कैबिनेट की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि आठवां वेतन आयोग लगभग 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। नोट में कहा गया है, ‘वेतन आयोगों की सिफारिशें हर दस साल के अंतराल पर लागू की जाती हैं। इसके अनुसार, आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों का प्रभाव सामान्यतः 01.01.2026 (1 जनवरी, 2026) से होना अपेक्षित है।’ बता दें, सातवां वेतन आयोग जुलाई 2016 में लागू किया गया था, लेकिन कर्मचारियों को जनवरी 2016 से शुरू होने वाली छह महीने की अवधि के लिए बकाया राशि का भुगतान किया गया था।

कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकी हैं जस्टिस देसाई

जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। उन्हें इससे पहले 2020 में परिसीमन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और फिर 2022 में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) समिति की प्रमुख नियुक्त की गई थीं। फरवरी 2025 में, वह गुजरात यूसीसी पैनल की भी प्रमुख नियुक्त की गई थीं।

30 जुलाई, 1973 को बॉम्बे के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से विधि स्नातक न्यायमूर्ति देसाई ने शुरुआती वर्षों में, न्यायमूर्ति प्रताप के अधीन काम किया। उन्होंने अपने पिता एस.जी. सामंत के साथ भी काम किया, जो एक प्रख्यात आपराधिक वकील थे। 1979 में, उन्हें सरकारी वकील नियुक्त किया गया और 1986 में, वे निवारक निरोध मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक के रूप में कार्यरत रहीं।


अपने लीगल करियर के अंतिम चरण में, 13 सितंबर, 2011 को वह देश के सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत किया गया। इसके बाद, वह 29 अक्टूबर, 2014 को रिटायर हो गईं। इसके बाद वह विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण की अध्यक्ष रहीं और 2018 में, अग्रिम निर्णय प्राधिकरण की अध्यक्ष बनीं।

इसके अलावा, वह जम्मू और कश्मीर में परिसीमन आयोग की प्रमुख भी रहीं। उनकी अध्यक्षता वाले आयोग के अंतिम आदेश के तहत केंद्र शासित प्रदेश में कुल निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई।

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