'बच्चे विमान की आवाज सुनकर रो पड़ते हैं, रात में नींद नहीं आती' जहां गिरा था एयर इंडिया का विमान, आज भी खौफ में हैं लोग
Air India Plane Crash: किशनभाई और उनकी पत्नी मनीबेन, जिनका घर क्रैश साइट के पास है, कहते हैं, "हम बहुत डरे हुए हैं। या तो हमें कहीं और शिफ्ट किया जाए या प्लेनों का रूट बदल दिया जाए।" किशनभाई अब भी अपने झुलसे हुए घावों से उबर रहे हैं, जो उन्हें उस दिन अफरा-तफरी में भागते समय लगे थे
Air India Express: जहां गिरा था एयर इंडिया का विमान, आज भी खौफ में हैं लोग
12 जून की दोपहर हमेशा के लिए बदल गई। मेघाणी नगर की गलियों में लोग रोज की तरह अपने घरों में थे, जब अचानक जमीन कांप उठी, खिड़कियां और दरवाजे अपने आप खुल गए, और कुछ ही दूरी पर – महज 20 मीटर दूर – Air India की लंदन जा रही फ्लाइट AI-171 आकर बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिर गई। 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स को लेकर उड़ा यह विमान टेक-ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में सिर्फ एक यात्री बच पाया, जबकि विमान में मौजूद बाकी सभी की मौत हो गई। हादसे की चपेट में आकर जमीन पर मौजूद 29 लोग भी जान गंवा बैठे।
"अब नींद नहीं आती..."
NDTV के मुताबिक, इस हादसे के बाद गुजरात हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, मेघाणी नगर के निवासियों की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। जो लोग पहले हर पांच मिनट में उड़ते विमानों की आवाज को सामान्य मानते थे, आज उसी आवाज से कांपने लगे हैं।
किशनभाई और उनकी पत्नी मनीबेन, जिनका घर क्रैश साइट के पास है, कहते हैं, "हम बहुत डरे हुए हैं। या तो हमें कहीं और शिफ्ट किया जाए या प्लेनों का रूट बदल दिया जाए।" किशनभाई अब भी अपने झुलसे हुए घावों से उबर रहे हैं, जो उन्हें उस दिन अफरा-तफरी में भागते समय लगे थे।
तीसरी मंजिल पर रहने वाली सोनलबेन बताती हैं, "मैं रोटियां बना रही थी, तभी जोर की आवाज आई और पूरा कमरा हिल गया। जमीन और सब चीजें तपने लगीं। मैं बेटे को लेकर भागी, तब से अब तक नींद नहीं आई। हर फ्लाइट की आवाज पर डर से कांप जाती हूं।"
मेट्रो रेल में काम करने वाले बीरेन्द्र त्रिवेदी कहते हैं, "मेरी बिल्डिंग में 40 से ज्यादा बच्चे हैं। अब रात होते ही कई बच्चे फ्लाइट की आवाज सुनकर रोने लगते हैं।"
1961 से वहीं रह रहे विक्रम सिंह परमार, जो एक किराने की दुकान चलाते हैं, कहते हैं, "कार्गो फ्लाइट ज्यादा आवाज करती हैं। ये हादसा एक बार हुआ, रोज नहीं होगा।"
मनुभाई, जो ग्राउंड प्लस टू मंजिल की बिल्डिंग में रहते हैं, अपनी छत से उस जगह दिखाते हैं, जहां हादसा हुआ था। मलबा हटाने का काम अब भी जारी है।
सिर्फ जख्म नहीं, दिमागी असर भी भारी
VIMS अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. ध्रुव रावल बताते हैं कि एयरक्रैश के बाद आसपास रहने वालों पर इसका गहरा मानसिक असर होता है। भले वे सीधे हादसे का हिस्सा न हों, लेकिन पास में हुआ ऐसा हादसा उनकी सुरक्षा की भावना को पूरी तरह तोड़ देता है।
"सायरन, मलबा और बार-बार उड़ते विमानों की आवाज़ पीड़ितों में तनाव, डर, पैनिक अटैक, पसीना, चिड़चिड़ापन और नींद की कमी जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं। बच्चों में बुरे सपने, डर और अस्थिर व्यवहार हो सकता है," डॉ. रावल बताते हैं।
वे कहते हैं, ऐसे मामलों में जरूरी है कि लोग अपने भावनात्मक बदलाव को सामान्य समझें और समुदाय का सहयोग लें। सामूहिक हीलिंग जैसे स्मृति सभा, काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप इन हालात में मददगार हो सकते हैं।
बच्चों के लिए CBT (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी) जैसी थैरेपी उपयोगी हो सकती है जिससे वे डरावनी यादों को प्रोसेस कर सकें और सुरक्षा का भाव दोबारा पा सकें।
सरकारी और निजी स्तर पर हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, जिनपर पीड़ित काउंसलिंग के लिए संपर्क कर रहे हैं। लेकिन हादसे के पास रहने वाले लोगों तक मदद पहुंचाना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
आज मेघाणी नगर में हर गुजरता प्लेन सिर्फ उड़ान नहीं भरता, वह लोगों की सांसें भी रोक देता है। हादसे के बाद यहां की फिज़ा अब पहले जैसी नहीं रही।