अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया-171 विमान हादसे को कई हफ्ते बीत चुके हैं, जिसमें विमान सवार 241 यात्रियों की मौत हो गई थी। अब हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों ने एयर इंडिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि मुआवजे की प्रक्रिया के दौरान एयरलाइन ने उन पर दबाव बनाया और धमकी दी कि अगर वे एयरलाइन की तरफ से दिए गए प्रश्नावली फॉर्म को नहीं भरते, तो उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
परिवारों का यह भी आरोप है कि एयर इंडिया ने उनसे यह जबरन हस्ताक्षर कराए कि वे मृत व्यक्ति पर आर्थिक रूप से निर्भर थे। उनका कहना है कि ऐसा इसीलिए कराया गया ताकि एयरलाइन बाद में मुआवजे की राशि घटा सके।
इस हादसे में अहमदाबाद से लंदन जा रहे Boeing 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के उड़ान भरते ही क्रैश हो जाने से सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई थी। जबिक जिस मेडिकल हॉस्टल से विमान टकराया था, उसमें भी 19 लोगों की जान चली गई थी।
एयर इंडिया पीड़ित परिवारों पर दबाव डाल रही है!
इस हादसे के बाद यूके की एक कानूनी फर्म 'स्टुअर्ट्स' को अब तक 40 से ज्यादा पीड़ित परिवारों (भारत और यूके में) ने अपना पैरोकार बनाया है। यह फर्म अहमदाबाद की 'नानावटी एंड नानावटी' फर्म के साथ मिलकर एयर इंडिया, बोइंग और अन्य जिम्मेदार पक्षों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
स्टुअर्ट्स फर्म ने एक बयान में बताया कि एयर इंडिया पीड़ित परिवारों पर दबाव डाल रही है कि वे एक प्रश्नावली फॉर्म भरें, ताकि उन्हें अग्रिम मुआवजा दिया जा सके। परिजनों का कहना है कि यह फॉर्म उन्हें 'तेज गर्मी में बिना किसी मदद के भरवाया गया', और न उसमें लिखे कानूनी शब्दों का अर्थ समझाया गया।
लॉ फर्म ने कहा कि यह प्रश्नावली सिर्फ एडवांस मुआवजे के लिए जरूरी है, लेकिन उसमें ऐसी जानकारी मांगी गई है, जिसे एयर इंडिया आगे चलकर उनके खिलाफ मुआवजा कम करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है।
लॉ फर्म ने पीड़ितों को फॉर्म न भरने की सलाह दी
फर्म ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने क्लाइंट्स (पीड़ित परिवारों) को यह फॉर्म न भरने की सलाह दी है, क्योंकि उनकी ओर से कानूनी रूप से मुआवजा दिलाने की जिम्मेदारी वे उठाएंगे।
बयान में कहा गया, "यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि एयर इंडिया (Air India) ऐसे समय में जब पीड़ित परिवार बेहद कमजोर और आहत हैं, तब उनसे जबरदस्ती यह जानकारी लेने की कोशिश कर रही है।"
फॉर्म में कानूनी परिभाषा वाले शब्दों का इस्तेमाल
फर्म ने कहा, "हमारे क्लाइंट्स ने हमें प्रश्नावली दिखाई है। इसमें कानूनी रूप से महत्वपूर्ण जानकारी मांगी गई है, जिसमें कानूनी परिभाषा वाले शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो परिवारों को नहीं बताया जा रहा है। भविष्य में एयर इंडिया की तरफ से परिवारों के खिलाफ मांगी जा रही जानकारी का इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि बहुत कम परिवार समझ पाएंगे कि सवालों की व्याख्या कैसे की जानी चाहिए या इस्तेमाल किए गए हर एक शब्द के लिए कौन सी परीक्षा लागू की जानी चाहिए।"
यह मामला अब एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी लड़ाई का रूप लेता दिख रहा है, जिसमें एयर इंडिया की मुआवजा नीति और व्यवहार पर सवाल उठ रहे हैं।