SIR के बीच पश्चिम बंगाल में BLO ने की आत्महत्या, परिवार वालों ने लगाया 'काम के दबाव' का आरोप
West Bengal SIR: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शांतिमणि रंगामाटी ग्राम पंचायत के तहत बूथ संख्या 20/101 की BLO के तौर पर कार्यरत थी। आज सुबह उनका शव न्यू ग्लेनको चाय बागान क्षेत्र में उनके घर के पास एक पेड़ से लटका हुआ मिला। पुलिस के अनुसार, उरांव के गले में उन्हीं का दुपट्टा बंधा हुआ था
West Bengal SIR: SIR के बीच पश्चिम बंगाल में BLO ने की आत्महत्या (FILE PHOTO)
पश्चिम बंगाल में एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने आत्महत्या कर ली। उनके परिवार को मालबाजार में उनके घर के आंगन में उनका शव मिला। उन्होंने आरोप लगाया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के काम के दबाव के कारण उन्होंने आत्महत्या की। मृतक 48 साल की शांतिमोनी एक्का रंगामाटी पंचायत की रहने वाली थीं, जिन्हें हाल ही में BLO के रूप में SIR ड्यूटी सौंपी गई थी और वह घर-घर जाकर फॉर्म बांटती और इकट्ठा कर रही थीं।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शांतिमणि रंगामाटी ग्राम पंचायत के तहत बूथ संख्या 20/101 की BLO के तौर पर कार्यरत थी। आज सुबह उनका शव न्यू ग्लेनको चाय बागान क्षेत्र में उनके घर के पास एक पेड़ से लटका हुआ मिला। पुलिस के अनुसार, उरांव के गले में उन्हीं का दुपट्टा बंधा हुआ था।
उरांव के परिवार ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के कारण बढ़ते तनाव के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।
क्या बोले परिवार वाले?
शांतिमणि के घर पर उनके पति, सुख एक्का, ने उस रोजमर्रा की दिनचर्या का जिक्र किया जो ''मानसिक रूप से असहनीय'' हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि नियमित आंगनवाड़ी ड्यूटी और घरेलू कामकाज पूरा करने के बाद वह रात में दस्तावेज़ इकट्ठा करने और संशोधन कार्य के लिए फ़ॉर्म भरने निकल जाती थीं।
उन्होंने पत्रकारों को बताया, "फॉर्म सभी बंगाली में थे, लेकिन यहां ज्यादातर लोग हिंदी बोलते हैं। गलतियां होना तय था। हर शाम लोग हमारे घर आते थे। वह इस दबाव को झेल नहीं पाई।"
परिवार ने दावा किया कि उरांव ने कथित तौर पर ब्लॉक कार्यालय में जाकर SIR संबंधित कार्य से राहत प्रदान करने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्हें कहा गया कि लिस्ट में नाम होने की वजह से काम करना जारी रखना होगा।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उनके परिवार का आरोप है कि वह काफी दबाव में थी और मानसिक रूप से परेशान हो गई थीं। उन्होंने बताया कि वह अपने बूथ के लिए अकली BLO थीं।
परिवार के अनुसार, बुधवार सुबह जब वह घर में नहीं मिली, तो उन्होंने तलाश शुरू की और आंगन में उनका शव मिला। स्थानीय पुलिस ने शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
आत्महत्या पर छिड़ी राजनीतिक बहस
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जलपाईगुड़ी जिले में बूथ लेवल आफिसर (BLO) की आत्महत्या को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि SIR का "अमानवीय, अव्यवस्थित" कार्यभार ने जमीनी स्तर के कर्मचारियों को तोड़ रहा है।
बनर्जी ने 'X' पर एक पोस्ट में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि (वोटर लिस्ट की) पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान एक और बीएलओ की मौत से वह "बेहद स्तब्ध और दुखी" हैं।
उन्होंने पोस्ट में कहा, ''आज फिर, हमने जलपाईगुड़ी के माल में एक बूथ लेवल आफिसर, एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को खो दिया, जिसने SIR की जारी प्रक्रिया के असहनीय दबाव के कारण अपनी जान ले ली।''
उन्होंने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। उनका आरोप है कि जो काम पहले तीन वर्षों में किया जाता था, उसे अब ''राजनीतिक आकाओं को खुश करने'' के लिए दो महीनों में निपटाने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे ज़मीनी स्तर के कर्मचारियों पर ''अमानवीय दबाव'' पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ''ऐसी अनमोल ज़िंदगियां उस अव्यवस्थित और निरंतर बढ़ते बोझ के कारण जा रही हैं, जिसे भारत के तथाकथित निर्वाचन आयोग ने थोप दिया है। जो प्रक्रिया पहले तीन साल में पूरी होती थी, उसे अब चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए दो महीनों में निपटाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे बीएलओ पर अमानवीय दबाव पड़ रहा है।
उन्होंने चुनाव आयोग से ''विवेक के साथ काम करने'' और इस अभियान को तुरंत रोक देने की अपील की।
दूसरी तरफ BJP ने तृणमूल के आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें राजनीति से प्रेरित करार दिया है।
विपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया, "मैंने इस घटना के बारे में पूछताछ की और मुझे पता चला है कि राज्य सरकार के उनके वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव के कारण वह बहुत तनाव में थीं, जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली।"
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हालांकि मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन CEO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बूथ जिला अधिकारी (BDO) से एक रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बाद कार्यालय उठाए जाने वाले कदमों पर निर्णय लेगा।