Bengal Election 2026: बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए BJP ने कसी कमर! पूरे राज्य में यात्रा निकालेगी पार्टी
Bengal Election 2026: बीजेपी आलाकमान ने बंगाल में संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया है। आलाकमान इस बात पर काम कर रहा है कि सामुहिक नेतृत्व में चुनाव में कूदा जाए। बीजेपी नेतृत्व बंगाल में अलग-अलग धड़ों में बंटी पार्टी को एकजुट करने पर जोर दे रही है। राज्य के सभी नेताओं को आपस में मिलकर काम करने को कहा गया है
Bengal Election 2026: सीएम ममता बैनर्जी के गढ को जीतने के लिए बीजेपी रणनीति बनाने में जुट गई है
Bengal Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गंगा बिहार से होकर बंगाल तक पहुंचती है। बिहार ने बंगाल में बीजेपी की जीत का मार्ग प्रशस्त किया है। पीएम मोदी ने बंगाल के भाईयो और बहनों को बधाई देते हुए कहा कि अब उनके साथ मिल कर बीजेपी बंगाल से 'जंगलराज' को उखाड फेंकेगी। बीजेपी अगले साल होने वाले बंगाल के चुनावों के लिए कितनी गंभीर है ये बात पीएम मोदी के संबोधन से साफ हो गई। बिहार चुनाव के बीच ही बंगाल में SIR के तहत मतदाता सूची का संशोधन शुरु हो गया है। इसके साथ ही चुनाव आयोग और ममता सरकार के बीच टकराव भी शुरू हो गया है।
जाहिर है पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बैनर्जी के गढ को जीतने के लिए बीजेपी रणनीति बनाने में जुट गई है। ये इसी बात से साबित हो जाता है कि 25 सितंबर को बिहार विधानसभा चुनावो के लिए प्रभारी नियुक्त किए गए, उसी दिन बिहार की लिस्ट के साथ साथ बीजेपी आलाकमान ने बंगाल के लिए भी चुनाव प्रभारियो की नियुक्ति कर दी। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद विप्लब देव को चुनावों का सह प्रभारी बनाया गया। संदेश साफ था कि बिहार के बाद बंगाल में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी शुरु हो चुकी है।
बंगाल में संगठन मजबूत करने पर जोर
बीजेपी आलाकमान ने सर्नेवोच्च प्राथमिकता दी है संगठन को मजबूत करने पर। जोर इस बात पर नहीं होगा कि चेहरा किसका होगा। लेकिन आलाकमान काम इस बात पर कर रहा है कि सामुहिक नेतृत्व में चुनाव में कूदा जाए। बीजेपी नेतृत्व राज्य में अलग अलग धड़ों में बंटी पार्टी को एकजुट करने पर जोर दे रही है। राज्य के सभी नेताओं को आपस में मिल कर काम करने को कहा गया है।
बीजेपी सूत्रो के मुताबिक राज्य के 91 हजार बूथों में से पार्टी ने करीब सत्तर हजार बूथों पर समितियों का गठन कर लिया है। अब मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान यानी SIR के पूरा होने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद बनने वाली मतदाता सूची के आधार पर बूथ कमेटियों का काम आगे बढ़ाया जाएगा
पूरे बंगाल में बीजेपी निकालेगी यात्राएं
सूत्रों के मुताबिक, पूरे पश्चिम बंगाल में यात्रा निकालने का खाका तैयार किया जा रहा है। ये यात्रा बंगाल के अलग-अलग कोने से निकलेगी जिसका समापत कोलकाता में होगा। इस यात्रा के जरिए बीजेपी एक तरफ बूथ से लेकर जिला स्तर तक के संगठन को मजबूत कर के संगठन को चुनावे के लिए तैयार रखना चाहती है। वहीं दूसरा मकसद बीजेपी के कार्यकर्ताओं के मन से TMC की हिंसा का डर भी निकालना है।
बीजेपी कार्यकर्ताओं और जिला स्तर के नेताओ को शिकायत रहती है कि TMC के कार्यकर्ता उनको जनता के बीच जाकर काम करने नहीं देते। मारपीट और हिंसा भी करते हैं। साथ ही बीजेपी के समर्थकों को डराते धमकाते भी हैं। शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि इस यात्रा की तैयारियों से बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से न सिर्फ संवाद बढेगा। बल्कि बड़े नेताओं की उपस्थिति से कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच टीएमसी का डर भी कम होगा।
पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने 121 विधानसभा सीटें किसी न किसी रूप में जीती हैं। ये जीत बताती है कि इन सीटों पर बीजेपी मज़बूत स्थिति में है। पार्टी का लक्ष्य यहां पर पूरी ताकत झोंकना है। साथ ही इनके अलावा अन्य चालीस से पचास सीटों पर ताकत लगाई जाएगी।
कानून व्यवस्था और वंशवाद के मुद्दों से टीएमसी को घेरेगी बीजेपी
बीजेपी नेताओं के अनुसार, महिला सुरक्षा राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा होगा। साथ ही ध्वस्त कानून व्यवस्था को भी बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा। जनता से भगवा पार्टी कहेगी- 'जीना है तो बीजेपी को वोट दो, सम्मान से रहना है तो बीजेपी को वोट दो...।' महिला सुरक्षा के बाद रोज़गार भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा। राज्य में औद्योगिककरण का अभाव, पलायन और खस्ता अर्थव्यवस्था भी बड़े मुद्दे होंगे। बीजेपी टीएमसी में अभिषेक बनर्जी के वर्चस्व को वंशवाद से जोडेगी।
बीजेपी सूत्रो का मानना है कि अभिषेक बनर्जी के कार्यशैली से अधिकांश टीएमसी नेता खुश नहीं हैं। साथ ही अभिषेक बनर्जी के साथ टीएमसी के पुराने नेताओं की वैसी वफादारी नहीं जैसी ममता बनर्जी के साथ है। बीजेपी इसे वंशवाद से जोड़ेगी और जनता को यह बताएगी कि बंगाल की राजनीति में वंशवाद की जगह नहीं है। जिस तरह ओडीशा में पांडियन को लेकर मुद्दा बना था वैसा ही मुद्दा पश्चिम बंगाल में अभिषेक बैनर्जी के साथ संभव हो सकता है।
जातिगत समीकरण और ध्रुवीकरण
बीजेपी नेताओं के अनुसार, बंगाल में जातीय राजनीति नहीं चलती। अन्य राज्यों की तरह बंगाल में जातीय ध्रुवीकरण अधिक व्यापक नहीं है। इसलिए बीजेपी जातिगत समीकरणों पर अधिक जोर नहीं देगी। बल्कि भगवा पार्टी क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से संतुलन साधने की कोशिश करेगी। सूत्रों के मुताबिक ध्रुविकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
बीजेपी के मुताबिक, मुस्लिम वोट 30 से 40 विधानसभा सीटों पर ही प्रभावी हैं। इन सीटों पर तीस फीसदी से अधिक मुस्लिम वोट हैं। लेकिन ये भी साफ है कि ऐसे इलाकों मे हिंदू वोटों का भी ध्रुविकरण हो सकता है। इसलिए हिंदुस्त से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाने की जरूरत नजर नहीं आ रही क्योंकि बीजेपी की पहचान पहले से ही हिंदुत्व की पार्टी के रुप में हैं। इस स्थिति में फायदा बीजेपी को मिल सकता है। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।