Amoeba Virus In Kerala: ब्रेन-ईटिंग अमीबा वायरस से पीड़ित 95% मरीजों की हो जाती है मौत, केरल में क्या है हालात?

Amoeba Virus In Kerala: प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस से केरल में दहशत है। यह एक दुर्लभ वायरस है। यह एक घातक ब्रेन इन्फेक्शन है, जो नेगलेरिया फाउलेरी (दिमाग खाने वाले अमीबा) के कारण होता है। इस बीमारी से केरल में हाल के महीनों में 19 लोगों की जान चली गई है

अपडेटेड Sep 19, 2025 पर 11:40 AM
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Amoeba Virus In Kerala: अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक दिमागी बुखार है जिसकी वजह से हाल के महीनों में केरल में 19 लोगों की जान चली गई है

Amoeba Virus In Kerala: केरल इस वक्त एक प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (PAM) नामक दुर्लभ घातक बीमारी से जूझ रहा है। इस बीमारी से हाल के महीनों में 19 लोगों की जान गई है। इसका कारण एक सूक्ष्म परजीवी है जिसे नेगलेरिया फाउलेरी के नाम से जाना जाता है। इसे सामान्यतः 'दिमाग खाने वाला अमीबा' कहा जाता है, जो प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस यानी पीएएम नामक स्थिति उत्पन्न करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह वायरस अमूमन जानलेवा होता है। इससे संक्रमित होने वाले 95 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इस साल केरल में इसके 70 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

राज्य के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों ने न्यूज 18 को बताया कि अमीबा से होने वाली मृत्यु दर को लगभग 30 प्रतिशत पर बनाए रखने में कामयाब रहा है, जो वैश्विक स्तर पर दर्ज 95 फीसदी मृत्यु दर से काफी कम है। केरल के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (डीएचएस) के सहायक निदेशक (जन स्वास्थ्य) डॉ. हरिकुमार एस ने न्यूज 18 को बताया कि इस साल राज्य में 71 मामले और 19 मौतें दर्ज की गईं,। जबकि पिछले साल 39 मामले और 9 मौतें दर्ज की गई थीं। उन्होंने कहा, "इससे केरल में मृत्यु दर लगभग 30 प्रतिशत दिखाई देती है। लेकिन वैश्विक स्तर पर इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर 95% से अधिक है।"

क्या है अमीबिक मेनिन्जाइटिस?


कोझिकोड सरकारी मेडिकल कॉलेज में निपाह रिसर्च के लिए बने केरल स्थित हेल्थ सेंटर के प्रोफेसर और नोडल अधिकारी डॉ. टीएस अनीश ने आईएएनएस को बताया, "अमीबायोसिस या अमीबिक मेनिन्जाइटिस एक दुर्लभ बीमारी है, जिसको डायग्नोस करना बहुत मुश्किल है। यह एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) में से एक है, जिसका पता लगाना बहुत मुश्किल है। इस स्थिति का पता लगाने के लिए लगभग पूरी दुनिया में कोई समर्पित डायग्नोस्टिक तकनीक इस्तेमाल नहीं की जाती है।"

अमीबिक मेनिन्जाइटिस एक दुर्लभ लेकिन घातक सेंट्रल नर्वस सिस्टम इंफेक्शन है जो मीठे पानी, तालाबों और नदियों में पाए जाने वाले फ्री-लिविंग अमीबा, नेगलेरिया फाउलेरी, जिसे दिमाग खाने वाला अमीबा भी कहा जाता है, के कारण होता है।

अमीबा गर्म मीठे पानी जैसे तालाबों, झीलों, नदियों और खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूलों में पाया जाता है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इसे निगलने पर यह बीमारी का कारण नहीं बनता है। लेकिन जब पानी नाक में चला जाता है तो परजीवी नाक के रास्ते ब्रेन में एंट्री कर सकता है। इससे यह दिमाग के विनाश का कारण बनता है। यह रोग बहुत तेजी से बढ़ता है।

क्या है इसके लक्षण?

एक स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार, "बुखार, सिरदर्द, मतली और गर्दन में अकड़न से शुरू होने वाली स्थिति जल्द ही दौरे और कोमा में बदल जाती है। आमतौर पर एक से दो सप्ताह के भीतर मृत्यु हो जाती है।" डॉक्टर का कहना है कि इसे अक्सर बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस समझ लिया जाता है। जब वास्तविक कारण का पता चलता है, तब तक मरीज को बचाने में बहुत देर हो चुकी होती है।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने राज्य विधानसभा को बताया कि अधिकांश जल स्रोतों में अमीबा मौजूद हैं। हालांकि, इसके केवल कुछ प्रकार ही खतरनाक हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य में पीएएम का पहला मामला साल 2016 में सामने आया था। तब से सरकार डॉक्टरों को अधिक तेजी से प्रतिक्रिया देने में मदद करने के लिए दिशानिर्देशों पर काम कर रही है।

बचाव के उपाय

साथ ही इस बीमारी के साथ होने वाली खतरनाक मस्तिष्क सूजन को कम करने के लिए इलाज भी किया गया। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे गर्मी के मौसम में स्थिर या खराब रखरखाव वाले मीठे पानी के स्रोतों में न तैरें और न ही गोता लगाएं। अगर तैरना जरूरी हो तो नाक में क्लिप लगाएं जिससे पानी के नाक में जाने का खतरा कम हो सकता है।

डाक्टरों का कहना है कि बच्चों को होज या स्प्रिंकलर से नहीं खेलना चाहिए। इससे पानी नाक में जाने का खतरा है। बगीचे की होज को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह धोना चाहिए। पैडलिंग पूल की रोजाना सफाई, स्विमिंग पूल का उचित क्लोरीनीकरण और नाक धोने के लिए केवल उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई है।

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वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से पीएएम का खतरा बढ़ सकता है। अमीबा गर्म पानी में पनपता है। यह अधिक तापमान पर पनपने वाले बैक्टीरिया पर निर्भर करता है। गर्मियां बढ़ने से परजीवी का दायरा बढ़ सकता है। ज्यादा लोग राहत की तलाश में झीलों और नदियों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे बीमारी के संपर्क में आने की आशंका बढ़ जाती है।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Sep 19, 2025 11:13 AM

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