भारत ने विश्व बैंक की तरफ से नियुक्त न्यूट्रल एक्सपर्ट माइकल लिनो (Michel Lino) को पत्र लिखा है। इसमें भारत ने किशनगंगा और रैटल जलविद्युत परियोजनाओं से जुड़े विवादों की कार्यवाही को रोकने का औपचारिक अनुरोध किया है। बता दें कि भारत ने देश के पश्चिमी हिस्से में नदियों के जाल पर फिर से अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। इसके तहत भारत ने कई हाइड्रोपावर और नदियों के मैनेजमेंट सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया है जोकि पहले पाकिस्तान की आपत्तियों के चलते लंबे समय से अटके पड़े थे।
क्या आग्रह किया है भारत ने?
भारत ने माइकल लिनो को ऐसे समय में पत्र लिखा है जब केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty-IWT) को तब तक निलंबित रखने का फैसला किया है जब तक कि पाकिस्तान आतंकियों का समर्थन बंद नहीं करता है। पत्र में इस साल 2025 के लिए पहले से तय 'वर्क प्रोग्राम' को स्थगित करने का आग्रह किया है। इन वर्क प्रोग्राम में अगस्त में पाकिस्तान का लिखित जवाब और नवंबर में चौथा ज्वाइंट मीटिंग है। भारत के इस आग्रह के बाद माइकल लिनो ने इस पर पाकिस्तान का जवाब मांगा है।
भारत कई मोर्चों पर काम कर रहा है। चेनाब नदी पर बगलिहार और सलाल प्रोजेक्ट्स में तलछट साफ करने के लिए फ्लशिंग ऑपरेशन शुरू हो गया है। इनकी सफाई बगलिहार प्रोजेक्ट के 2008-09 में और सलाल प्रोजेक्ट के 1987 में चालू होने के बाद से पहली बार हो रही है। इनकी सफाई के काम को पाकिस्तान ने सिंधु जल सिंध के जरिए रोक दिया था। अब अधिकारियों की योजना बिजली उत्पादन बढ़ाने और नदियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हर महीने इनकी सफाई की है। इसके अलावा सरकार की योजना सिंधु नदी के पानी को दूसरे राज्यों में भेजने के लिए नहरें निकालने की है। इसके अलावा चेनाब नदी पर चार प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं-किरू (Kiru), क्वार (Kwar), पाकल दुल (Pakal Dul) और रतले (Ratle) को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसमें से पाकल दुल तो जम्मू और कश्मीर में पहला स्टोरेज-बेस्ड प्रोजेक्ट है।