सीबीआई ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के एक बड़े अफसर को गिरफ्तार किया है। उस पर आरोप है कि उसने संस्था के 232 करोड़ रुपये से ज़्यादा अपने निजी खातों में भेज दिए और इस पैसे का इस्तेमाल बिजनेस करने में किया। बता दें कि इस अधिकारी का नाम राहुल विजय है। राहुल विजय को देहरादून एयरपोर्ट पर सीनियर मैनेजर (फाइनेंस और अकाउंट्स) के पद पर काम कर रहा था। जांच में पता चला है कि उसने लगभग 3 साल तक फर्जी डॉक्यूमेंट और नकली एंट्रियां बनाकर यह बड़ा घोटाला किया।
देहरादून एयरपोर्ट पर तैनाती के दौरान हुआ घोटाला
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि जांच में यह सामने आया है कि 2019-20 से 2022-23 तक देहरादून एयरपोर्ट पर तैनात रहते हुए आरोपी ने बड़ी चालाकी से रिकॉर्ड में हेरफेर किया। उसने नकली संपत्तियां बनाई, कुछ संपत्तियों की कीमतें जरूरत से ज़्यादा बढ़ा दीं और यहां तक कि संख्या में ज़ीरो (0) जोड़कर एंट्रियां बदल दीं। ऐसा करने से वह नियमित जांच में पकड़ा नहीं गया।
बैंक ट्रांजेक्शन में खुली सारी पोल
बैंक के लेन-देन की शुरुआती जांच से पता चला कि जो पैसा गबन किया गया था, उसे बाद में राहुल विजय के कंट्रोल वाले ट्रेडिंग अकाउंट्स में डाल दिया गया। इन गड़बड़ियों का पता सबसे पहले एक आंतरिक ऑडिट में चला। इसके बाद AAI ने एक स्पेशल टीम बनाई, ताकि सच्चाई की पूरी जांच की जा सके।
ऑफिस में सीबीआई ने मारी रेड
जांच में यह सामने आया कि कुछ संपत्तियों की कीमतें झूठी तरह से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गईं, फर्जी अकाउंट रिकॉर्ड बनाए गए, और पैसा विजय के निजी बैंक खातों में ग़लत तरीके से ट्रांसफर किया गया। AAI के सीनियर मैनेजर (फाइनेंस) चंद्रकांत पी. ने 18 अगस्त को CBI में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद सीबीआई की आर्थिक अपराध इकाई ने इस पर केस दर्ज कर लिया। जांच के दौरान, सीबीआई ने जयपुर में राहुल विजय के ऑफिस और घर पर छापा मारा। वहां से उन्हें संपत्ति के कागज, सिक्योरिटीज़ और कई आपत्तिजनक दस्तावेज मिले।
जांच करने वालों का कहना है कि राहुल विजय ने ऐसी संपत्तियाँ बनाई जो असल में थीं ही नहीं और असली काम के आदेशों की नक़ल (कॉपी) करके पैसे अपने खातों में डाल लिए। वह भारतीय स्टेट बैंक में AAI के खातों के अधिकृत साइन करने वाले (Authorized Signatory) थे। इस पद का फायदा उठाकर उन्होंने अपने धोखे को छिपाने के लिए तीन अलग-अलग यूज़र आईडी बना लीं। शुरुआत में उन्होंने सिस्टम को परखने के लिए छोटे-छोटे ट्रांज़ैक्शन किए, और जब सब ठीक से चल गया तो उन्होंने बहुत बड़ी रकम ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
विजय ने नकली संपत्तियां दिखाईं, असली आदेशों की कॉपी की और तीन यूज़र आईडी बनाकर सिस्टम से खेला। पहले थोड़े पैसे ट्रांसफर किए, फिर धीरे-धीरे करोड़ों रुपये अपने खाते में डाल लिए।
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