Chandigarh Bill Controversy: चंडीगढ़ बिल पर क्यों मचा है सियासी घमासान? पंजाब में राजनीतिक पार्टियां आर्टिकल 240 का कर रही हैं विरोध

Chandigarh Bill Controversy: पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने चंडीगढ़ से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक का भारी विरोध किया है। इसमें राष्ट्रपति को चंडीगढ़ के लिए सीधे नियम-कानून बनाने का अधिकार देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, राजनीतिक आक्रोश के बाद केंद्र ने कहा है कि फिलहाल चंडीगढ़ के संबंध में कोई बिल पेश करने का इरादा नहीं है

अपडेटेड Nov 23, 2025 पर 8:32 PM
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Chandigarh Bill Row: चंडीगढ़ से संबंधित बिल पर पंजाब की राजनीतिक पार्टियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है

Chandigarh Bill Controversy: चंडीगढ़ के गवर्नेंस स्ट्रक्चर में बदलाव के लिए केंद्र के एक विधेयक पर पंजाब में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। संसद के एक बुलेटिन में 1 दिसंबर, 2025 से शुरू होने वाले आगामी शीतकालीन सत्र के लिए संविधान (131वां संशोधन) बिल, 2025 को लिस्ट किया गया था। लेकिन विवाद के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब स्पष्ट किया है कि अभी कोई फाइनल निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसा कोई भी बिल स्टेकहोल्डर की सलाह के बिना संसद में पेश नहीं किया जाएगा।

चंडीगढ़ बिल क्या है?

दरअसल, चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 के दायरे में लाने संबंधी प्रस्ताव वाले इस विधेयक पर पंजाब के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह आर्टिकल राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए नियम बनाने और सीधे कानून बनाने का अधिकार देता है।


केंद्र सरकार ने आर्टिकल 240 के दायरे में चंडीगढ़ को शामिल करने के लिए यह विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में लाने की योजना बनाई थी। इसके तहत राष्ट्रपति को केंद्र शासित क्षेत्र के लिए सीधे कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होता है। हालांकि, विरोध के बाद केंद्र ने फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

बिल का क्या है मकसद?

चंडीगढ़ अभी पंजाब और हरियाणा की जॉइंट राजधानी है। इस विधेयक का उद्देश्य भारत के संविधान के आर्टिकल 240 के दायरे में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को शामिल करना है। इससे पहले अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन और दीव, तथा पुडुचेरी (जब इनकी विधानसभा भंग या निलंबित हो) जैसे अन्य बिना विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेश आर्टिकल 240 में शामिल हैं।

आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेशों की शांति, प्रगति एवं प्रभावी शासन के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह प्रस्ताव उन अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरूप है, जहां विधानसभा नहीं है। जैसे अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव। पुडुचेरी भी इस दायरे में तब आता है, जब वहां की विधानसभा भंग या निलंबित हो।

केंद्र की ओर से इस संबंध में अगर पेश विधेयक पारित हो जाता है तो चंडीगढ़ में एक इंडिपेंडेंट एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति का रास्ता साफ हो जाएगा, जैसा कि पहले यहां स्वतंत्र मुख्य सचिव होता था। यह वजह है कि केंद्र के इस कदम पर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी (AAP) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

क्या है आर्टिकल 240?

संविधान का आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रेगुलेशन बनाने का अधिकार देता है। ताकि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव तथा पुडुचेरी में शांति, प्रगति और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके।

हालांकि, इस आर्टिकल में कहा गया है कि जब किसी केंद्र शासित प्रदेश में आर्टिकल 239A के तहत कोई निकाय (जैसे पुडुचेरी में) हो तो उस स्थिति में पहले सेशन की तारीख से राष्ट्रपति उस केंद्र शासित प्रदेश के लिए कोई रेगुलेशन नहीं बना सकेंगे।

इसके अलावा, इसमें यह भी प्रावधान है कि राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए ऐसे किसी भी रेगुलेशन के माध्यम से संसद द्वारा पारित किसी कानून या उस केंद्र शासित प्रदेश पर लागू किसी अन्य प्रचलित कानून को निरस्त या संशोधित किया जा सकता है। राष्ट्रपति द्वारा जारी किए जाने पर ऐसे रेगुलेशन को उस केंद्र शासित प्रदेश में लागू संसद अधिनियम के समान ही प्रभाव और शक्ति प्राप्त होगी।

अभी चंडीगढ़ कैसे चलता है?

मौजूदा समय में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के एडमिनिस्ट्रेटर होते हैं। इससे पहले एक नवंबर 1966 से जब पंजाब का पुनर्गठन हुआ था। तब चंडीगढ़ का एडमिनिस्ट्रेटर स्वतंत्र रूप से मुख्य सचिव द्वारा किया जाता था। हालांकि, एक जून 1984 से चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल द्वारा किया जा रहा है। मुख्य सचिव का पद केंद्र शासित प्रदेश के एडमिनिस्ट्रेटर के सलाहकार में परिवर्तित कर दिया गया था।

अगस्त 2016 में केंद्र ने पुरानी व्यवस्था बहाल करने की कोशिश और इंडिपेंडेंट एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के पूर्व अधिकारी केजे अल्फोंस को नियुक्त किया। हालांकि, तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री और तब केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) सहित अन्य दलों के कड़े विरोध के कारण इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।

पंजाब में गुस्सा क्यों है?

सभी पॉलिटिकल पार्टियों AAP, कांग्रेस और अकाली दल ने इस प्रपोज़ल की आलोचना करते हुए इसे पंजाब से चंडीगढ़ छीनने की कोशिश बताया है। पंजाब की पॉलिटिकल लीडरशिप ने केंद्र के प्रपोजल की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे चंडीगढ़ पर राज्य के ऐतिहासिक दावे पर हमला बताया है। AAP नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब की राजधानी छीनने की साजिश कर रही है।

मान ने एक बयान में कहा, "चंडीगढ़ पहले भी पंजाब का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा...। कोई भी व्यक्ति या संस्था इससे इनकार नहीं कर सकता कि मातृ राज्य होने के नाते पंजाब का अपनी राजधानी चंडीगढ़ पर पूरा अधिकार है।" कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने इस कदम को पूरी तरह अनावश्यक बताया। साथ ही पंजाब से चंडीगढ़ छीनने के खिलाफ चेतावनी दी।

वडिंग ने एक बयान में कहा, "चंडीगढ़ पंजाब का (अंग) है। इसे छीनने की किसी भी कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे।" लुधियाना से लोकसभा सदस्य वडिंग ने कहा कि केंद्र को विधेयक में आवश्यक संशोधन करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस संसद में इस विधेयक का कड़ा विरोध करेगी। इसे पारित न होने देने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों से बातचीत करेगी।

वडिंग ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पंजाब इकाई के नेताओं से इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री मान से यह भी कहा कि वे इस मामले को तुरंत केंद्र सरकार के सामने उठाएं। ताकि इस प्रस्ताव को शुरू में ही खत्म किया जा सके।

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह विधेयक चंडीगढ़ को पंजाब को वापस देने के केंद्र के वादे के साथ विश्वासघात होगा। बादल ने एक बयान में कहा कि प्रस्तावित 131वां संविधान संशोधन विधेयक केंद्र शासित प्रदेश को हमेशा के लिए पंजाब के प्रशासनिक और राजनीतिक नियंत्रण से बाहर करने की कोशिश है।

गृह मंत्रालय की सफाई

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में केंद्र के लिए कानून निर्माण की प्रक्रिया को सरल बनाने वाले चंडीगढ़ संबंधी प्रस्तावित विधेयक को लाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। मंत्रालय ने साथ ही जोर देकर कहा कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य चंडीगढ़ और पंजाब एवं हरियाणा के बीच पारंपरिक व्यवस्थाओं को बदलना नहीं है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित लोगों के साथ पर्याप्त सलाह के बाद ही कोई उपयुक्त निर्णय लिया जाएगा। इस मामले में किसी भी चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस संबंध में कोई विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है।"

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मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस मामले पर उठाई गई चिंताओं को दूर करते हुए कहा, "केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार की कानून-निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अब भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।"

मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करने का प्रयास नहीं करता और न ही इसका उद्देश्य चंडीगढ़ और पंजाब या हरियाणा राज्यों के बीच पारंपरिक व्यवस्था को बदलना है। चंडीगढ़ फिलहाल, पंजाब और हरियाणा की जॉइंट राजधानी है।

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