Chandigarh Bill Row: 'फिलहाल बिल पेश करने का कोई इरादा नहीं'; चंडीगढ़ को लेकर पंजाब में जारी विवाद पर केंद्र की सफाई
Chandigarh Bill Row: पंजाब में राजनीतिक तूफान के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने रविवार को चंडीगढ़ में नया कानून बनाने के प्रस्ताव पर सफाई दी। MHA ने कहा कि केंद्र का संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ प्रशासन पर फिलहाल विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है। केंद्र ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन को लेकर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं
Chandigarh Law Row: गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र का चंडीगढ़ प्रशासन पर विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है
Chandigarh Law Row: केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 के तहत लाने की खबरों पर केंद्र ने सफाई दी है। पंजाब में बढ़ते राजनीतिक हंगामे के बीच सरकार ने रविवार (23 नवंंबर) को कहा कि चंडीगढ़ के लिए केंद्रीय कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रस्ताव सिर्फ विचाराधीन है। इस पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। गृह मंत्रालय (MHA) ने कहा कि केंद्र का संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ प्रशासन पर कोई विधेयक पेश करने का फिलहाल इरादा नहीं है। MHA ने कहा कि सभी के साथ परामर्श के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल, चंडीगढ़ प्रशासन को लेकर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है।
गृह मंत्रालय ने कहा, "चंडीगढ़ के लिए कानून-निर्माण को सरल बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। इसमें पंजाब, हरियाणा के साथ संबंधों में बदलाव शामिल नहीं है।" विपक्षी पार्टियों ने रविवार को दावा किया कि केंद्र ने संविधान के आर्टिकल 240 के दायरे में चंडीगढ़ को शामिल करने के लिए एक विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में लाने की योजना बनाई है। इसके तहत राष्ट्रपति को संघ शासित क्षेत्र के लिए सीधे विनियम और कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होता है।
केंद्र की ओर से इस संबंध में पेश अगर विधेयक पारित होता है तो चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा, जैसा कि पहले यहां स्वतंत्र मुख्य सचिव होता था। हालांकि केंद्र के इस कदम पर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी (AAP) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
विधेयक का उद्देश्य भारत के संविधान के आर्टिकल 240 के दायरे में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को शामिल करना है। यह प्रस्ताव उन अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरूप है, जहां विधानसभा नहीं है। जैसे अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव। पुडुचेरी भी इस दायरे में तब आता है, जब वहां की विधानसभा भंग या निलंबित हो।
संविधान का आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विनियम बनाने का अधिकार देता है। ताकि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव तथा पुडुचेरी में शांति, प्रगति और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके।
AAP-कांग्रेस ने बोला हमला
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह एक बड़ा अन्याय है कि भाजपा सरकार पंजाब की राजधानी छीनने की साजिश कर रही है। मान ने एक बयान में कहा, "चंडीगढ़ पहले भी पंजाब का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। कोई भी व्यक्ति या संस्था इससे इनकार नहीं कर सकता कि मातृ राज्य होने के नाते पंजाब का अपनी राजधानी चंडीगढ़ पर पूरा अधिकार है।" कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने इस कदम को पूरी तरह अनावश्यक बताया। साथ ही पंजाब से चंडीगढ़ छीनने के खिलाफ चेतावनी दी।
वडिंग ने एक बयान में कहा, "चंडीगढ़ पंजाब का (अंग) है और इसे छीनने की किसी भी कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे।" लुधियाना से लोकसभा सदस्य वडिंग ने कहा कि केंद्र को विधेयक में आवश्यक संशोधन करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस संसद में इस विधेयक का कड़ा विरोध करेगी और इसे पारित न होने देने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों से बातचीत करेगी।
वडिंग ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पंजाब इकाई के नेताओं से इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री मान से यह भी कहा कि वे इस मामले को तुरंत केंद्र सरकार के सामने उठाएं, ताकि इस प्रस्ताव को शुरू में ही खत्म किया जा सके।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह विधेयक चंडीगढ़ को पंजाब को वापस देने के केंद्र के वादे के साथ विश्वासघात होगा। बादल ने यहां जारी एक बयान में कहा कि प्रस्तावित 131वां संविधान संशोधन विधेयक केंद्र शासित प्रदेश को हमेशा के लिए पंजाब के प्रशासनिक और राजनीतिक नियंत्रण से बाहर करने की कोशिश है।
इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद विक्रमजीत सिंह ने कहा कि सभी सांसदों को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब के चंडीगढ़ पर दावे का ऐतिहासिक महत्व है।
अभी चंडीगढ़ पर किसका है कंट्रोल?
मौजूदा समय में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक होते हैं। इससे पहले, 1 नवंबर 1966 से जब पंजाब का पुनर्गठन हुआ था तब चंडीगढ़ का प्रशासन स्वतंत्र रूप से मुख्य सचिव द्वारा किया जाता था। हालांकि, एक जून 1984 से चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल द्वारा किया जा रहा है और मुख्य सचिव का पद केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के सलाहकार में परिवर्तित कर दिया गया था।
अगस्त 2016 में केंद्र ने पुरानी व्यवस्था बहाल करने की कोशिश और स्वतंत्र प्रशासक के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी के. जे. अल्फोंस को नियुक्त किया। हालांकि, तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री और तब भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित अन्य दलों के कड़े विरोध के कारण इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी है। पंजाब चंडीगढ़ पर दावा करता है। उसने तत्काल इसे पंजाब को ट्रांसफर करने की मांग की है।