संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर राज्यसभा में अपनी बात रखी। सरकार की आलोचना करते हुए भी, सत्र में कई हल्के-फुल्के पल आए जिन पर सत्ता और विपक्ष—दोनों ओर से हंसी सुनाई दी। रुपये की गिरावट को लेकर सरकार पर हमला करते हुए खड़गे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सलाहकारों में से एक बताया। उन्होंने कहा, “आपको पता होगा, आप मुख्य सलाहकार और प्राइम एग्जीक्यूटिव हैं।”
यह सुनकर खड़गे के पीछे बैठे कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने धीरे से कहा, “चाणक्य” — यह उपनाम शाह की राजनीतिक रणनीति और संगठनात्मक प्रभाव के कारण अक्सर उनके लिए इस्तेमाल किया जाता है। खड़गे ने भी वह शब्द दोहराया और फिर रमेश की ओर इशारा करते हुए ट्रेज़री बेंचों से कहा, “यहां भी एक चाणक्य बैठे हैं।” इस टिप्पणी पर अमित शाह, किरेन रिजिजू, जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह मुस्कुराते नजर आए।
BJP ने कांग्रेस में दरार का दावा किया
मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश की इस हल्की-फुल्की बातचीत पर BJP ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पार्टी के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इस घटना का एक वीडियो क्लिप साझा करते हुए दावा किया कि यह क्षण कांग्रेस की “अंदरूनी लड़ाई” को उजागर करता है। हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया। उनका कहना है कि यह किसी तरह का विवाद नहीं, बल्कि सदन में हुआ एक सामान्य मज़ाकिया पल था।
खड़गे ने सदन में दिया ये जवाब
मुख्य मुद्दे पर लौटते हुए खड़गे ने वंदे मातरम को समर्थन देने में कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका का मजबूती से बचाव किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही इस गीत को स्वतंत्रता आंदोलन का नारा बनाया था और अपने कार्यक्रमों में इसे नियमित रूप से गाया जाता था। खड़गे ने ट्रेज़री बेंच की ओर देखते हुए पूछा, “यह परंपरा कांग्रेस ने शुरू की थी। क्या आपने ऐसा किया?” उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर आरोप लगाया कि वे बिना पूरा संदर्भ समझे लगातार जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करते हैं। खड़गे ने उन दावों का भी उल्लेख किया जिनमें कहा गया था कि नेहरू ने गीत के कुछ हिस्सों को हटा दिया या तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया।
उन्होंने तीखे लहज़े में पूछा, “जब आपने बंगाल में मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाई थी, तब आपकी देशभक्ति कहां थी?” खड़गे ने सरकार को अपनी ही इतिहास की जानकारी दोबारा पढ़ने की सलाह दी। खड़गे ने सदन को याद दिलाया कि 1937 में कांग्रेस कार्यसमिति ने—सिर्फ नेहरू ने नहीं सर्वसम्मति से फैसला किया था कि राष्ट्रीय कार्यक्रमों में वंदे मातरम के केवल पहले दो पद ही गाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “अगर आप नेहरूजी की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह संभव नहीं है।”