Fake BARC Scientist: मुंबई में फर्जी BARC वैज्ञानिक बनकर विदेश यात्रा करने वाले अख्तर हुसैन क़ुतुबुद्दीन अहमद को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। जिस भाई को खुद अख्तर ने 'मृत' घोषित कर दिया था, उसे अब दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मोहम्मद आदिल हुसैनी नामक इस व्यक्ति को पाकिस्तान सहित विदेशों से संबंध रखने और जासूसी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के आरोप में पकड़ा गया है। 59 वर्षीय हुसैनी को दो दिन पहले दिल्ली के सीमापुरी इलाके से गिरफ्तार किया गया। पुलिस अख्तर से पूछताछ के दौरान उसे मृत मान रही थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आदिल एक विदेशी-आधारित परमाणु वैज्ञानिक के संपर्क में था और पाकिस्तान सहित कई देशों की यात्रा कर चुका था। उस पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करके एक संवेदनशील संस्थान के तीन फर्जी पहचान पत्र प्राप्त करने का भी आरोप है।
झारखंड से चल रहा था पूरा खेल
यह पूरा नेटवर्क कथित तौर पर झारखंड के जमशेदपुर से संचालित हो रहा था, जहां जाली दस्तावेजों की मदद से फर्जी पहचान पत्र और पासपोर्ट तैयार किए जा रहे थे।अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (स्पेशल सेल) प्रमोद सिंह कुशवाहा ने बताया कि आदिल टाटा नगर, जमशेदपुर का निवासी है और उस पर गंभीर आरोप हैं। अधिकारी ने कहा, 'आदिल और उसका भाई अख्तर हुसैनी पर विदेशी देशों को संवेदनशील जानकारी की आपूर्ति करने और जाली दस्तावेजों का उपयोग करके कई भारतीय पासपोर्ट हासिल करने का संदेह है।'
तलाशी के दौरान पुलिस ने आदिल के कब्जे से एक असली और दो जाली पासपोर्ट जब्त किए। आदिल को भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया है। उसे कोर्ट में पेश किया गया, जिसने उसे आगे की पूछताछ के लिए सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
पहले गिरफ्तार हुआ था फर्जी वैज्ञानिक भाई
60 वर्षीय अख्तर हुसैन क़ुतुबुद्दीन अहमद को पहले BARC वैज्ञानिक बनकर फर्जी पहचान के तहत विदेश यात्रा करने के आरोप में 17 अक्टूबर को मुंबई में गिरफ्तार किया गया था। वर्सोवा स्थित उसके आवास पर छापे के दौरान, पुलिस ने दो फर्जी BARC पहचान पत्र एक पर अलेक्जेंडर पामर और दूसरे पर अली रजा हुसैन नाम, जाली शैक्षिक डिग्री, फर्जी पासपोर्ट, नक्शे और मोबाइल फोन बरामद किए थे।
जांचकर्ताओं को अलेक्जेंडर पामर के नाम पर कक्षा 10 और 12 की कई फर्जी मार्कशीट, BSc, BTech और MBA की डिग्री के साथ-साथ कई अनुभव पत्र भी मिले थे।अब पुलिस की टीमें अब यह पता लगा रही हैं कि इस नेटवर्क के जरिए कितने लोगों को फर्जी पासपोर्ट जारी किए गए थे।