अस्पतालों, ऑफिसों और घरों के 50000 से ज्यादा CCTV हुए हैक! टेलीग्राम पर ₹700 से ₹4,000 में बिक रहे प्राइवेट वीडियोज, हुआ बड़ा पर्दाफाश

CCTV Hacking Scandal: 25 वर्षीय बीकॉम ग्रेजुएट पारित धमेलीया इस मामले में मुख्य आरोपी है जिसने तीन सॉफ्टवेयर टूल suIP.biz, Masscan और SWC सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। इन टूल का उपयोग करके हैकरों ने आईपी एड्रेस प्राप्त किए, ओपन डिजिटल पोर्ट्स के लिए स्कैन किया और लॉगिन क्रेडेंशियल प्राप्त किए

अपडेटेड Nov 04, 2025 पर 1:11 PM
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यह स्कैम 20 राज्यों के लगभग 80 सीसीटीवी डैशबोर्ड तक फैला हुआ था, जिसमें पुणे, मुंबई, नासिक, सूरत, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे बड़े शहर शामिल हैं

CCTV Hacking Scandal: राजकोट के एक अस्पताल में हुई डिजिटल लापरवाही ने भारत के सबसे बड़े साइबर अपराधों में से एक का खुलासा किया है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब हैकरों ने पायल मैटरनिटी अस्पताल के CCTV सिस्टम में 'admin123' जैसे आसान और डिफॉल्ट पासवर्ड का यूज करके सिस्टम में एक्सेस पा लिया। इस हैकिंग के माध्यम से हजारों घंटे की सेंसिटिव फुटेज चुरा ली गई, जिसे बाद में वैश्विक पोर्न नेटवर्कों के माध्यम से बेचा गया। जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच हुई इस सेंधमारी ने 20 राज्यों में 80 से अधिक CCTV डैशबोर्ड को टारगेट किया और देश भर से कम से कम 50,000 क्लिप्स चोरी की गईं।

देशभर में 80 डैशबोर्ड हैक, ₹700 से ₹4,000 में बेच रहे थे फुटेज

इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब राजकोट अस्पताल से टीजर क्लिप 'Megha Mbbs' और 'cp monda' जैसे यूट्यूब चैनलों पर दिखाई देने लगे। इन चैनलों ने यूजर्स को पेमेंट के बाद फुटेज के एक्सेस के लिए टेलीग्राम चैनल्स की ओर री-डायरेक्ट किया। जांचकर्ताओं ने खुलासा किया है कि यह स्कैम 20 राज्यों के लगभग 80 सीसीटीवी डैशबोर्ड तक फैला हुआ था, जिसमें पुणे, मुंबई, नासिक, सूरत, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे बड़े शहर शामिल हैं। हैक की गई फुटेज अस्पतालों, स्कूलों, कारखानों, कार्यालयों और यहां तक कि लोगों के घरों से भी ली गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) के अनुसार, इन चोरी किए गए वीडियो को ऑनलाइन ₹700 से लेकर ₹4,000 तक की कीमतों पर बेचा जा रहा था।


अस्पतालों, ऑफिसों और घरों के CCTV को एक्सेस कैसे कर रहे थे हैकर?

अहमदाबाद साइबर क्राइम यूनिट के एक अधिकारी ने बताया कि हैकरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्राथमिक विधि 'ब्रूट फोर्स अटैक' थी, जिसमें वे डिजिटल लॉक खोलने के लिए हर संभव अक्षर और संख्या संयोजन को आजमाने के लिए एक प्रोग्राम या बॉट का उपयोग करते थे।

25 वर्षीय बीकॉम ग्रेजुएट पारित धमेलीया इस मामले में मुख्य आरोपी है जिसने तीन सॉफ्टवेयर टूल suIP.biz, Masscan और SWC सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। इन टूल का उपयोग करके हैकरों ने आईपी एड्रेस प्राप्त किए, ओपन डिजिटल पोर्ट्स के लिए स्कैन किया और लॉगिन क्रेडेंशियल प्राप्त किए। गिरोह ने अपने संचालन को छिपाने के लिए VPNs का इस्तेमाल किया और ट्रैफिक को बुखारेस्ट और न्यूयॉर्क जैसे शहरों के माध्यम से रूट किया। इस मामले में एक अन्य आरोपी रोहित सिसोदिया को दिल्ली में तब गिरफ्तार किया गया जब वह एक वैध रिमोट-व्यूइंग ऐप DMSS के माध्यम से अस्पताल के कैमरों का एक्सेस कर रहा था।

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