बीते कुछ दिनों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर मामूली रूप से घटा था, लेकिन अब यह फिर से तेजी से बढ़ रहा है। राजधानी का एक्यूआई (AQI) 407 तक पहुंच गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई, गले में खराश, आंखों और त्वचा में जलन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और श्वसन संबंधी समस्याओं से ग्रसित लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
प्रदूषण को कम करने के लिए गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली में ग्रैप-3 नियम लागू किए हैं। इन नियमों के तहत कई प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा, शहर में लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल और पीएम2.5 जैसे हानिकारक कणों को कम किया जा सके और राजधानी में वायु गुणवत्ता सुधारी जा सके।
दिल्ली का औसत AQI 407 है, लेकिन कुछ इलाकों में ये 450 तक पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार:
AQI.in के अनुसार, इन इलाकों में सांस लेना लगभग 13.9 सिगरेट रोजाना पीने जितना हानिकारक है।
गुरुवार को PM2.5 का स्तर 398 µg/m³ मापा गया, जो WHO की सीमा 15 µg/m³ से 26.5 गुना अधिक है। WHO के अनुसार, PM2.5 का संपर्क हृदय और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों, जैसे स्ट्रोक, लंग कैंसर और COPD का कारण बन सकता है।
पराली जलाने से दिल्ली के PM2.5 में 10.1% योगदान दे रही है। वहीं, ट्रांसपोर्ट से उत्सर्जन 19.3% तक बढ़ सकता है। सैटेलाइट डेटा के मुताबिक, मंगलवार को पंजाब में 312, हरियाणा में 72 और उत्तर प्रदेश में 322 कृषि आग की घटनाएं दर्ज हुईं।
दिल्ली में गुरुवार को तापमान 19 डिग्री सेल्सियस और नमी 18% रही। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि:
इन उपायों से विषैले कणों (PM2.5) के संपर्क को कम किया जा सकता है और स्वास्थ्य पर प्रभाव को रोका जा सकता है।