Delhi AQI Today: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार (17 नवंबर) की सुबह एक बार फिर स्मॉग की मोटी परत छाई रही। शहर लगातार कई दिनों से 'बहुत खराब' वायु गुणवत्ता श्रेणी में बना हुआ है। सुबह 6:05 बजे, राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 360 दर्ज किया गया, जो अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। दिल्ली पिछले एक महीने से अधिक समय से जहरीली हवा में सांस ले रही है, यहां तक कि कृत्रिम वर्षा के प्रयास भी विफल रहे हैं।आज सुबह शहर के 38 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 6 स्टेशनों में AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। वहीं 32 स्टेशनों में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई।
बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली में GRAP 3 लागू है लेकिन उसका असर देखने को नहीं मिल रहा है। इसके पीछे की असली वजह ये है कि आम लोगों के साथ-साथ सरकारी परियोजनाएं भी GRAP 3 प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस स्तर के प्रदूषण को बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद खतरनाक बताया है, और सभी को घर के अंदर रहने या N95 मास्क का उपयोग करने की सलाह दी है।
'गंभीर' AQI वाले 6 प्रमुख क्षेत्र
GRAP 3 उल्लंघन और प्रदूषण के मुख्य कारण
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण दिल्ली-NCR में GRAP III लागू किया गया है, लेकिन इसका प्रभावी ढंग से पालन नहीं हो रहा है। ग्रेटर नोएडा में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCC) द्वारा बनाए जा रहे फ्लाईओवर में खुले में मिट्टी डंप करने जैसी निर्माण गतिविधियां जारी हैं, जो GRAP 3 नियमों के विरुद्ध है। शहर में जगह-जगह निर्माण सामग्री खुले में पड़ी है, और सेक्टर ओमिक्रॉन 3 की ओर सड़क किनारे खुदाई का काम चल रहा था। इसके अलावा, लोग जगह-जगह कूड़े में आग लगा रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है।
पर्यावरणविदों का मानना है कि शहर में अनियंत्रित धूल, कूड़े और पराली का जलना और पुराने वाहन वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान देते हैं। अगर इन कारकों पर साल भर प्रभावी नियंत्रण किया जाए, तो सर्दियों में प्रदूषण इतना गंभीर नहीं होगा। उद्योगों से निकलने वाला धुआं और हरित क्षेत्रों व तालाबों का विनाश भी स्थिति को और बिगाड़ रहा है।
पर्यावरणविद् प्रदीप दहलिया ने स्पष्ट किया है कि केवल आदेश और निर्देश जारी करने से समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर अंकुश लगाने की लड़ाई न केवल सरकार की भागीदारी से, बल्कि प्रत्येक परिवार की भागीदारी से भी सफल हो सकती है।
उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पूरे साल नियमित अभियान चलाया जाना चाहिए।
निर्माण स्थलों पर कपड़े की ग्रीन नेट का उपयोग अनिवार्य हो। सड़कों की रोजाना धुलाई और फॉगिंग की जानी चाहिए।
मोबाइल धूल नियंत्रण इकाइयां स्थापित करना, ड्रोन निगरानी का उपयोग करना, निर्माण स्थलों की लाइव ट्रैकिंग और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का स्वचालित चालान करना शामिल है।
स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ स्थापित किए जाने चाहिए।
निजी वाहनों से बचें: अनावश्यक निजी वाहनों का उपयोग कम करें।
वृक्षारोपण: घरों, गलियों और मोहल्लों में पेड़ लगाने के बारे में जागरूकता फैलाएं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नियमों का पालन करने और जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की तत्काल आवश्यकता है।