Al Falah University: दिल्ली विस्फोट के बाद जांच के घेरे में आए फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर के छोटे भाई को मध्य प्रदेश पुलिस ने निवेशकों से कथित धोखाधड़ी के करीब 25 साल पुराने कुछ मामलों में गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी धोखाधड़ी के मामलों में गिरफ्तार हमूद अहमद सिद्दीकी के बड़े भाई हैं। अधिकारी ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी पर 10,000 रुपये का इनाम घोषित था। इस बीच, दिल्ली ब्लास्ट के बाद आतंकी मॉड्यूल के सिलसिले में चेयरमैन को समन जारी किया गया है।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) यांगचेन डोलकर भूटिया ने सोमवार (17 नवंबर) को पत्रकारों को बताया, "महू पुलिस थाने में 25 साल पहले दर्ज तीन मामलों में हमूद अहमद सिद्दीकी को हैदराबाद से रविवार (16 नवंबर) को गिरफ्तार किया गया। हमारे चार सदस्यीय दल ने पुराने आपराधिक मामलों के फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान के तहत इस व्यक्ति को पकड़ा है।"
अधिकारी ने बताया कि सिद्दीकी के खिलाफ साल 2000 में भारतीय दंड विधान की धारा 420 (धोखाधड़ी) और अन्य संबद्ध कानूनी प्रावधानों के तहत महू पुलिस थाने में तीन मामले दर्ज किए गए थे। भूटिया ने बताया कि इन मामलों के अलावा सिद्दीकी के खिलाफ महू पुलिस थाने में 1988 और 1989 के दौरान बलवे और हत्या के प्रयास के आरोपों में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे।
उन्होंने बताया, "सिद्दीकी की गिरफ्तारी पर 2019 में 10,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था।" भूटिया ने बताया कि सिद्दीकी फिलहाल हैदराबाद में शेयर बाजार में निवेश से जुड़ी एक निजी कंपनी चलाते हैं। उन्होंने बताया कि सिद्दीकी महू के रहने वाले हैं। वहां वह 1995 के आस-पास बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर एक निवेश कंपनी चलाते थे। इस कंपनी के संचालक मंडल में उनकी पत्नी और एक परिचित भी शामिल थे।
SP ने बताया कि सिद्दीकी को महू में निवेश के नाम पर कथित धोखाधड़ी के तीन मामलों में गिरफ्तार किया गया। इनमें कुल मिलाकर 40 लाख रुपये के आस-पास की धन राशि हड़पने के आरोप हैं। उन्होंने बताया, "सिद्दीकी के खिलाफ लोगों से निवेश के नाम पर पैसे लेकर इस पर करीब 20% ब्याज दिलाने का झांसा देने का आरोप है। उन्होंने महू में दो साल कंपनी चलाई और तीसरे साल वह परिवार समेत इस कस्बे से फरार हो गए।"
भूटिया के मुताबिक महू में एक जमाने में सिद्दीकी का बड़ा परिवार रहता था। लेकिन यह कस्बा छोड़ने के बाद आरोपी ने किसी भी स्थानीय व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं रखा। SP ने हालांकि स्पष्ट किया कि महू पुलिस थाने में साल 2000 में दर्ज धोखाधड़ी के मामलों से जवाद अहमद सिद्दीकी का कोई संबंध नहीं है। पुलिस अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि महू पुलिस द्वारा हमूद जवाद सिद्दीकी की पृष्ठभूमि की दोबारा जांच शुरू करने और उसके स्थानीय संबंधों का पता चलने के बाद यह गिरफ्तारी की गई।
क्यों चर्चा में है यूनिवर्सिटी?
दिल्ली विस्फोट का मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। हरियाणा के फरीदाबाद जिले का अल-फलाह यूनिवर्सिटी दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण विस्फोट के सिलसिले में डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद जांच के घेरे में है। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने हाल में बयान जारी करके इस विस्फोट की निंदा की थी। साथ ही कहा था कि वह एक जिम्मेदार संस्थान है। देश के साथ एकजुटता से खड़ा है। इस विस्फोट में 13 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए थे।
दिल्ली पुलिस ने चेयरमैन को भेजा समन
दिल्ली पुलिस ने आतंकी मॉड्यूल मामले की जांच और जालसाजी एवं धोखाधड़ी के लिए अल फलाह विश्वविद्यालय के खिलाफ दर्ज दो मामलों के संबंध में यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को दो समन जारी किए हैं। यह समन तब भेजा गया जब जांचकर्ताओं ने पाया कि यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी का बयान संस्थान के कामकाज और उससे जुड़े व्यक्तियों की गतिविधियों से संबंधित कई विसंगतियों को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण है।
क्राइम ब्रांच ने हरियाणा स्थित इस विश्वविद्यालय के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में दो FIR दर्ज की है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने शनिवार को गंभीर चिंता जताई थी। अधिकारियों ने बताया कि दोनों निकायों ने विश्वविद्यालय के मान्यता संबंधी दावों की समीक्षा के बाद बड़ी अनियमितताओं को चिन्हित किया। साथ ही अपने निष्कर्ष कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंप दिए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "ये FIR विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता संबंधी कथित झूठे दस्तावेजों और दावों से संबंधित हैं। मामले की विस्तार से जांच की जा रही है।" पुलिस सूत्रों ने बताया कि सिद्दीकी को समन जारी करना व्यापक जांच का हिस्सा है। यह पिछले सप्ताह लाल किले के पास हुए विस्फोट की चल रही जांच से संबंधित है। माना जा रहा है कि विस्फोट से जुड़े कई संदिग्धों का विश्वविद्यालय से संबंध रहा है। इसके कारण जांचकर्ताओं को यूनिवर्सिटी की जांच करनी पड़ रही है। फिलहाल, मामले की जांच जारी है।