दिल्ली विस्फोट मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बड़ी सफलता मिली है। NIA ने सोमवार (17 नवंबर) को कहा कि उसने दिल्ली कार ब्लास्ट का मुख्य आरोपी आत्मघाती हमलावर डॉक्टर उमर उन नबी के एक और करीबी सहयोगी को गिरफ्तार किया है। NIA ने लाल किले के पास हुए कार विस्फोट मामले में श्रीनगर से सक्रिय सह-साजिशकर्ता जसीर बिलाल वानी को गिरफ्तार किया है। बयान के मुताबिक वानी को दानिश के नाम से भी जाना जाता है।
उमर 10 नवंबर को लाल किले के नजदीक विस्फोटकों से भरी कार चला रहा था, जिसमें विस्फोट हुआ था। NIA ने लाल किले के पास जिस कार में धमाका हुआ था उसे चला रहे उमर उन नबी को 'आत्मघाती हमलावर' बताया है। इस धमाके में 13 लोग मारे गए थे। वानी भी एक कश्मीरी निवासी है।
NIA के मुताबिक, उसने आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की थी। एक अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर में गिरफ्तार आरोपी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश ने कथित तौर पर आतंकी मॉड्यूल को विशेष तकनीकी सहायता प्रदान की थी।
साथ ही घातक हमले से पहले के हफ्तों में ड्रोन में बदलाव और तुरंत रॉकेट बनाने का प्रयास शामिल था। जांचकर्ताओं का कहना है कि जसीर एक सक्रिय सह-साजिशकर्ता था। उसने आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी के साथ मिलकर काम किया था। उसने उसे 10 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी को हिला देने वाले हमले की तैयारी में मदद की थी।
पहला सहयोगी आमिर राशिद अली भी गिरफ्तार
इससे पहले लाल किला विस्फोट के अन्य आरोपी आमिर राशिद अली को गिरफ्तार किया गया था। अली संभवतः डॉ. उमर नबी के संपर्क में रहने वाला अंतिम व्यक्ति था। एनआईए ने एक दिन पहले ही अली की गिरफ्तारी की घोषणा की थी। एजेंसी ने दावा किया कि उसने आतंकवादी हमले को अंजाम देने के लिए आत्मघाती हमलावर उमर के साथ साजिश रची।
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई कार अली के नाम पर रजिस्टर्ड थी। वह कार खरीदने के लिए विशेष रूप से दिल्ली आया था। उमर एक व्हाइट कॉलर आतंकवादी मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था। इसका 10 नवंबर को हरियाणा के फरीदाबाद से विस्फोटकों की बरामदगी के बाद भंडाफोड़ किया गया था।
कैसे हुआ आतंकी नेटवर्क का खुलासा?
पुलवामा निवासी 28 वर्षीय डॉक्टर नबी कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले इस नेटवर्क का सबसे कट्टरपंथी और प्रमुख सदस्य बनकर उभरा है। अधिकारियों का मानना है कि वह छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के आसपास एक शक्तिशाली विस्फोट की योजना बना रहा था।
हालांकि, यह साजिश नाकाम हो गई। श्रीनगर पुलिस की गहन जांच के आधार पर हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से डॉ. मुजम्मिल गनई की गिरफ्तारी हुई और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुए। माना जाता है कि इस सफलता से उमर में घबरा गया और अंततः लाल किले के नजदीक हुए विस्फोट में 13 लोग मारे गए।
इस अंतरराज्यीय नेटवर्क का भंड़ाफोड़ 19 अक्टूबर को श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर चस्पा होने की एक छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण घटना के जांच के दौरान हुआ।
श्रीनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया और सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच की। इसके बाद तीन स्थानीय लोगों आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया गया। इन सभी के खिलाफ पहले भी पत्थरबाजी के मामले दर्ज हैं।
उनसे पूछताछ के बाद शोपियां के एक पूर्व पैरामेडिक से इमाम बने मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया। उसने कथित तौर पर पोस्टर मुहैया कराए थे। साथ ही डॉक्टरों को चरमपंथी बनाने के लिए अपनी पहुंच का इस्तेमाल किया था।
इस मामले में अब तक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। एनआईए अब साजिशकर्ताओं से पूछताछ करेगी। ताकि पूरी साजिश का खुलासा किया जा सके और उसकी भूमिका का पता लगाया जा सके।