Dump Data: दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार विस्फोट के बाद जांच एजेंसियां घटना स्थल के आसपास के मोबाइल फोन का 'डंप डेटा' जुटाने में जुट गई हैं। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि जांच एजेंसियों का मानना है कि इस 'रॉ डेटा' से उन फोन नंबरों का सुराग मिल सकता है जो इस धमाके की साजिश से जुड़े हुए थे। विशेष रूप से पार्किंग में और घटना के समय आस-पास सक्रिय रहे सभी फोन के डेटा को अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह पता चल सकेगा कि विस्फोट करने वालों ने आपस में या किसी बाहरी व्यक्ति से क्या बात की थी। फरीदाबाद में भी इसी डंप डेटा का उपयोग करके दोषियों के बीच हुए कम्युनिकेशन को खंगाला जा रहा है।
क्या होता है 'डंप डेटा' और इसमें क्या जानकारी होती है?
'डंप डेटा' मूल रूप से 'रॉ डेटा' होता है, जिसे आमतौर पर ट्रेस या इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन यह बैकअप के रूप में मौजूद रहता है। आसान भाषा में यह उन करोड़ों मोबाइल कॉल्स, इंटरनेट यूसेज और गतिविधियों का अनप्रोसेस्ड रिकॉर्ड होता है जो रोजाना होती हैं। इस डेटा से केवल कॉल रिकॉर्ड ही नहीं मिलते, बल्कि इसमें कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शामिल होती हैं। इसमें फोन या लैपटॉप से डिलीट की गई वॉट्सऐप चैट, गैलरी से हटाई गई तस्वीरें, SMS, गूगल या इंटरनेट की ब्राउजर हिस्ट्री, और इंस्टाग्राम, फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का डेटा भी रिकवर किया जा सकता है।
डेटा रिकवर होने में कितना समय लगता है?
जांच में लगने वाला समय फोन के प्रकार पर निर्भर करता है:
सामान्य एंड्रॉयड फोन: डंप डेटा रिकवर करने में केवल 2 से 6 घंटे का समय लगता है।
आधुनिक आईफोन: ऐसे मोबाइलों से डेटा रिकवर करने में 24 से 72 घंटे तक का समय लग सकता है।
FSL रिपोर्ट: FSL यानी फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की अंतिम रिपोर्ट आने में 15 दिन से लेकर 6 महीने तक का समय लग सकता है।
डेटा रिकवरी में क्या हो सकती है चुनौतियां?
अगर फोन को फैक्ट्री रीसेट किया जा चुका है और डेटा ओवरराइट हो गया है, या फ़ोन बहुत पुराना या क्षतिग्रस्त है, या उसका चिप डैमेज है, तो डेटा रिकवर करना संभव नहीं होता है।