दिल्ली कार ब्लास्ट में बड़ा खुलासा, डीप फ्रीजर में तैयार किए गए विस्फोटक, 5 लाख से ज्यादा में खरीदी गई AK-47

Delhi car blast: 10 नवंबर को दिल्ली में हुए आत्मघाती कार विस्फोट की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों ने कई नए खुलासे किए हैं। अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि यह हमला एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क, कई हैंडलर्स की प्लानिंग और कई जगहों पर हमले करने की बड़ी साजिश से जुड़ा हो सकता है।

अपडेटेड Nov 22, 2025 पर 1:07 PM
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दिल्ली कार ब्लास्ट में बड़ा खुलासा, डीप फ्रीजर में तैयार किए गए विस्फोटक, 5 लाख से ज्यादा में खरीदी गई AK-47

Delhi car blast: 10 नवंबर को दिल्ली में हुए आत्मघाती कार विस्फोट की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों ने कई नए खुलासे किए हैं। अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि यह हमला एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क, कई हैंडलर्स की प्लानिंग और कई जगहों पर हमले करने की बड़ी साजिश से जुड़ा हो सकता है।

बता दें कि दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार विस्फोट में कम से कम 15 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे। इस विस्फोट को डॉ. उमर नबी ने अंजाम दिया था, जो विस्फोटकों से लदे वाहन को चला रहा था।

फिलहाल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने चार अन्य प्रमुख आरोपियों को हिरासत में लिया है: पुलवामा (जम्मू और कश्मीर) से डॉ. मुजम्मिल शकील गनई, अनंतनाग (जम्मू और कश्मीर) से डॉ. अदील अहमद राठेर, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) से डॉ. शाहीन सईद और शोपियां (जम्मू और कश्मीर) से मुफ्ती इरफान अहमद वागे।


5 लाख रुपये से ज्यादा में खरीदी गई AK-47

इंटीलेजेंस एजेंसी के सुत्रों ने खुलासा किया है कि फरीदाबाद में 2,500 किलोग्राम से अधिक अमोनियम नाइट्रेट की जब्ती के बाद गिरफ्तार किए गए मुजम्मिल ने 5 लाख रुपये से अधिक में एक AK-47 राइफल खरीदी थी, जो बाद में अदील के लॉकर से बरामद हुई थी। अधिकारियों ने कहा कि इस हथियार की खरीद यह दिखाती है कि इस आतंकी मॉड्यूल के पीछे कितनी बड़ी प्लानिंग और फंडिंग हो रही थी।

सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि मॉड्यूल का प्रत्येक सदस्य एक अलग हैंडलर को रिपोर्ट कर रहा था, जिससे साफ पता चलता है कि नेटवर्क के अंदर एक तय और संगठित कमांड चेन बनाई गई थी।

एक अधिकारी ने बताया कि ये हैंडलर अलग-अलग स्तरों पर काम कर रहे थे। मुजम्मिल का हैंडलर अलग था, जबकि विस्फोट के आरोपी उमर किसी अन्य को रिपोर्ट कर रहा था। दो प्रमुख हैंडलर, मंसूर और हाशिम, एक वरिष्ठ हैंडलर के अधीन काम कर रहे थे, जिसके बारे में माना जाता है कि वह मॉड्यूल की समग्र गतिविधियों की निगरानी कर रहा था।

एक अधिकारी ने बताया कि ये हैंडलर लेयर दर लेयर काम करते थे, ताकि पूरे नेटवर्क का असली संचालन छिपा रहे और किसी एक सदस्य के पकड़े जाने पर पूरी चेन उजागर न हो सके।

खुफिया सूत्रों ने पुष्टि की है कि 2022 में, मुजम्मिल, अदील और एक अन्य आरोपी मुजफ्फर अहमद, ओकासा नाम के एक व्यक्ति के निर्देश पर तुर्की गए थे, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़ा है। उन्हें तुर्की में एक संपर्क सूत्र के जरिए अफगानिस्तान भेजा जाना था। लेकिन एक सूत्र ने बताया कि लगभग एक हफ्ते तक इंतजार कराने के बाद, हैंडलर पीछे हट गया।

जांचकर्ताओं ने पाया कि ओकासा एक टेलीग्राम ID के जरिए मुजम्मिल से संपर्क करता था। मुजम्मिल द्वारा उसके हैंडलर के बारे में पूछे जाने के बाद, उनके बीच बातचीत और तेज हो गई। खुफिया अधिकारियों ने खुलासा किया कि उमर बम बनाने के वीडियो, मैनुअल और अन्य ओपन-सोर्स कंटेंट ऑनलाइन पढ़ रहा था। वह नूह से केमिकल पदार्थ और भागीरथ पैलेस तथा फरीदाबाद के NIT मार्केट से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मंगवाता था।

इसके अलावा, उसने केमिकल्स को रखने और विस्फोटक मिश्रण तैयार करने के लिए एक डीप फ्रीजर भी खरीदा। एक सूत्र ने बताया कि यह फ्रीजर विस्फोटक पदार्थ को स्थिर करने और प्रोसेस करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

जांचकर्ताओं ने पुष्टि की कि फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर में पैसों को लेकर मुजम्मिल और उमर के बीच गंभीर झगड़ा हुआ था, जिसे कई छात्रों ने देखा था। इस झड़प के बाद, उमर ने अपनी लाल इकोस्पोर्ट कार, जिसमें पहले से ही विस्फोटक सामग्री थी, मुजम्मिल को सौंप दी।

खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि आतंकी मॉड्यूल कई जगहों पर विस्फोटक जमा करने और एक साथ हमले करने की योजना बना रहा था। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने ANI को बताया, "सभी सबूत एक संगठित, बहु-स्थानीय हमले की योजना की ओर इशारा करते हैं। बरामद सामग्री और डिजिटल फुटप्रिंट इस बात की पुष्टि करते हैं।"

जांच एजेंसियां अभी भी इस बड़े नेटवर्क की जांच कर रही हैं। वे यह पता लगा रही हैं कि पैसे कहां से आ रहे थे, कैसे भेजे जा रहे थे, और इस साजिश में विदेशों से जुड़े कौन-कौन से हैंडलर शामिल थे।

इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सह-आरोपी जसीर बिलाल वानी को NIA मुख्यालय में अपने वकील से मिलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। वानी अभी भी NIA की हिरासत में है।

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