Delhi Red Fort Blast: आरोपी डॉ. उमर की 'सॉफ्ट धर्मांतरण' की कोशिश, कैसे इंफाल की लड़की को दी गई मुस्लिम पहचान

Delhi Blast: जांच में यह बात भी सामने आई है कि उमर ने यूनिवर्सिटी में सीनियर फैकल्टी सदस्य और टीचर के अपने असर का इस्तेमाल किया। वह छात्रों पर अपने अनौपचारिक ‘सत्रों’ में शामिल होने का दबाव डालता था। News18 ने पहले रिपोर्ट किया था कि वह कई छात्रों पर अपने निर्देशों का पालन करने का दबाव डालता था

अपडेटेड Nov 16, 2025 पर 6:39 PM
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Delhi Red Fort Blast: आरोपी डॉ. उमर की 'सॉफ्ट धर्मांतरण' की कोशिश

दिल्ली लाला किला विस्फोट के मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी के उग्रवाद मामले में एक बड़ी जानकारी सामने आई है, जांच में खुलासा हुआ है कि उन्होंने देशभर में अपनी कट्टरपंथी विचार के विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर कोशिशें की थीं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, नई जानकारी मणिपुर की इंफाल की एक युवती से जड़ी है। पूछताछ में युवती ने कबूल किया कि कट्टरपंथी के दौरान वह डॉ. उमर नबी के संपर्क में थी। सूत्रों ने बताया कि उमर कई राज्यों में लोगों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा था। उसके निशाने पर खास तौर पर छात्र, जूनियर सहकर्मी और भावनात्मक रूप से कमजोर युवा थे।

जांच में यह बात भी सामने आई है कि उमर ने यूनिवर्सिटी में सीनियर फैकल्टी सदस्य और टीचर के अपने असर का इस्तेमाल किया। वह छात्रों पर अपने अनौपचारिक ‘सत्रों’ में शामिल होने का दबाव डालता था। News18 ने पहले रिपोर्ट किया था कि वह कई छात्रों पर अपने निर्देशों का पालन करने का दबाव डालता था।

इंफाल केस क्या है?


इंफाल की वह युवती, जो उमर के संपर्क में थी, कथित रूप से एक ‘ग्रूमिंग और धर्मांतरण पैटर्न’ की शिकार बनी, जिसके तहत उसे ‘मरियम’ नाम से मुस्लिम पहचान दी गई।

सूत्रों ने बताया कि यह नया नामकरण एक “सॉफ्ट-कन्वर्जन” (धीरे-धीरे परिवर्तन) की रणनीति की ओर संकेत करता है, जो आमतौर पर इस्लामी उग्रवादी मॉड्यूलों में इस्तेमाल की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य लक्ष्य की पहचान को पहले बदलना होता है।

एजेंसियों के मुताबिक, इंफाल की युवती का चयन इस वजह से किया गया क्योंकि ऐसी सीमावर्ती, जनजातीय और सामाजिक रूप से अलग-थलग आबादियों में निगरानी कम होती है। युवती ने पूछताछ में बताया कि वह उमर की बात इसलिए सुनती थी, क्योंकि वह वरिष्ठ शिक्षक था, लेकिन उसने साफ किया कि उसने उसकी विचारधारा को गंभीरता से नहीं लिया। उसने कहा कि वह केवल सम्मान के कारण उसके सत्रों में जाती थी, उसकी सोच को कभी स्वीकार नहीं किया।

क्या उमर मानसिक रूप से अस्थिर था?

सूत्रों के अनुसार, जांच में उमर के उग्रवादीकरण के दौरान उसके चिंताजनक व्यवहार का भी खुलासा हुआ है।

उन्होंने बताया कि उमर एक मनोरोग संबंधी विकार से पीड़ित था, जिसके चलते उसका व्यवहार अस्थिर रहता था। यह मानसिक स्थिति उसके उग्रवादी बनने में योगदान दे सकती है, जिससे उसका आचरण और अधिक आक्रामक हो गया।

पहले ही यह साबित हो चुका है कि आरोपी फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का एक अहम सदस्य था। वह ‘अल फला यूनिवर्सिटी’ में एक प्रतिष्ठित शिक्षक था, लेकिन छात्रों को प्रभावित करने और उन्हें उग्र विचारधारा की ओर मोड़ने की कोशिशें कर रहा था।

जम्मू और कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने News18 को बताया कि उमर एक कट्टर धार्मिक एजेंडा आगे बढ़ा रहा था। वह मुस्लिम छात्रों पर दिन में पांच बार नमाज पढ़ने और इस्लाम की ज्यादा सख्त व्याख्या अपनाने का दबाव डालता था। उसका स्वभाव अंतर्मुखी था, व्यवहार अस्थिर रहता था, और अक्सर वह जूनियर छात्रों को तंग करता था। उसका गुस्सा प्रसिद्ध था और वह वरिष्ठों से बार-बार टकराव में रहता था, जिसके चलते कई शिकायतें हुईं।

उमर के परिवार का भी मानसिक बीमारी का इतिहास है, जिसमें स्किज़ोफ़्रेनिया जैसे रोग शामिल हैं। माना जा रहा है कि यही कारण उसकी बढ़ती अस्थिरता और सामाजिक दूरी का कारण बना। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि आरोपी में ‘स्प्लिट पर्सनैलिटी’ के लक्षण भी थे।

उमर पर आरोप है कि उसने 10 नवंबर की शाम दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए भीषण धमाके में बम रखा था। शाम 6:52 बजे एक हुंडई i20 कार में हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। धमाका इतना शक्तिशाली था कि कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और घटनास्थल के दृश्य में बिखरे मलबे के बीच क्षत-विक्षत शव दिखाई दिए।

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