'जहां मेहनत है...', कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संघर्ष की चर्चा के बीच डीके शिवकुमार के इस पोस्ट की इतनी चर्चा क्यों?

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने हाल ही में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती के अवसर पर अपने संबोधन के कुछ अंश भी साझा किए। इस भाषण में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से जोश बनाए रखने, पार्टी के प्रति वफादार रहने और आंतरिक चुनौतियों के बावजूद भरोसा न खोने की अपील की

अपडेटेड Nov 21, 2025 पर 2:04 PM
Story continues below Advertisement
कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संघर्ष की चर्चा के बीच डीके शिवकुमार के इस पोस्ट की इतनी चर्चा क्यों?

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने शुक्रवार को X पर एक क्रिप्टिक मैसेज पोस्ट किया, जिसके बाद राजनीति में नई अटकलें शुरू हो गईं। इसी बीच, उनके कुछ नजदीकी मंत्री और विधायक दिल्ली के लिए रवाना हुए, जिससे कांग्रेस की सरकार के भीतर शक्ति संघर्ष की चर्चा और तेज हो गई। शिवकुमार ने ये पोस्ट कन्नड़ भाषा में लिखा, जिसका मोटे तौर पर मतलब था, “जहां मेहनत होती है, वहां फल मिलता है; जहां भक्ति होती है, वहां भगवान होते हैं।”

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने हाल ही में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती के अवसर पर अपने संबोधन के कुछ अंश साझा किए। इस भाषण में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से जोश बनाए रखने, पार्टी के प्रति वफादार रहने और आंतरिक चुनौतियों के बावजूद भरोसा न खोने की अपील की।

शिवकुमार सीधे तौर पर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा से बचते हुए दिखे, लेकिन उनकी पोस्ट ऐसे समय आई, जब एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के ढाई साल पूरे हुआ, जिससे एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई कि लंबे समय से चर्चित रोटेशनल मुख्यमंत्री पद की व्यवस्था वापस आ गई है या नहीं।


हालांकि, कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने साफ किया कि कोई नेतृत्व परिवर्तन योजना पर नहीं है और यह बात दोनों पक्षों को साफ-साफ कह दी गई है। इसी बीच, सिद्धारमैया के करीबी सहयोगियों ने सार्वजनिक कार्य मंत्री सतीश जरकीहोली के घर पर एक डिनर मीटिंग की, जिसमें डॉ. जी परमेश्वर, डॉ. एचसी महादेवप्पा, दिनेश गुंडुराव, पेरीपटन वेंकेटेश और केएन राजन्ना शामिल थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री का समर्थन करने के लिए 'अहिंडा कार्ड' के इस्तेमाल और हाई कमान पर दबाव डालने की रणनीतियों पर चर्चा हुई, ताकि सिद्धारमैया को किनारे न किया जाए।

कर्नाटक कांग्रेस के भीतर क्या पक रहा है?

कर्नाटक कांग्रेस के अंदर चल रही राजनीति में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच सत्ता को लेकर टकराव बढ़ गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस शक्ति संघर्ष से पूरी तरह अवगत है, खासकर जब कैबिनेट में फेरबदल करीब है।

फिलहाल नेताओं को सरकार की प्राथमिकताओं, खासकर स्टेट इनवेस्टमेंट रीजन (SIR) मुद्दे पर ध्यान देने का निर्देश दिया गया है, जो प्रशासन की बड़ी चिंता बन चुका है।

हालांकि, शिवकुमार के समर्थक विधायकों की दिल्ली में बढ़ती सक्रियता ने राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। हाल ही में मंत्री एन. चलुवरायसामी और विधायक इकबाल हुसैन, एच.सी. बालकृष्ण और एस.आर. श्रीनिवास समेत कई विधायक दिल्ली गए हैं, और अगले दिन करीब 12 और विधायक वहां पहुंचने की संभावना है। इसके पहले इस हफ्ते कई MLC भी दिल्ली में कांग्रेस महासचिवों से मिले।

पार्टी के 2023 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर प्रतिस्पर्धा चल रही है। पार्टी ने शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया, लेकिन शिवकुमार के समर्थक बार-बार उन्हें मुख्यमंत्री बनाने पर जोर देते रहे हैं। सिद्धारमैया ने इस तरह की अफवाहों को नकारते हुए पूरी अवधि तक मुख्यमंत्री रहने का दावा किया है।

अभी सिद्धारमैया के ढाई साल पूरे हो चुके हैं, और इसके बाद से शिवकुमार समर्थकों की आवाजें तेज हो गई हैं, जो इस हफ्ते दिल्ली में राजनीतिक सक्रियता के रूप में सामने आई हैं।

ये सभी घटनाक्रम कर्नाटक कांग्रेस के भीतर गहरे नेतृत्व संकट और पावर-शेयरिंग संघर्ष की ओर इशारा करते हैं। पार्टी हाईकमान इस स्थिति को लेकर सर्तक है, लेकिन अभी तक आधिकारिक तौर पर तस्वीर साफ नहीं हुई।

जब नेता जी आएं तब खड़े हो जाइए और शांत रहिए, सरकारी अधिकारियों के लिए महाराष्ट्र सरकार का फरमान

 

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।