लंबी यात्रा के दौरान काफी लंबे समय तक बैठे रहने पर क्या आपके पैरों में भी हो जाती है सूजन, तो ये डायबिटीज एक बड़ा संकेत है और अगर इससे बचाव नहीं किया गया, तो आपको अपना पैर भी गंवाना पड़ सकता है। इससे बचने का क्या है सही तरीका और कैसे बचा जाए? इस पर नेटवर्क18 के ग्रुप एडिटर- कन्वर्जेंस, ब्रजेश कुमार सिंह ने गंगाराम अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ वैस्कुलर सर्जरी के चेयरमैन डॉ. वीएस बेदी से बात की। उन्होंने इसे एक बहुत बड़ा खतरा बताया। डॉ. बेदी ने कहा इसे जानलेवा खतरा बताते हुए कहा कि कई बार हम इसे मिस डायग्नोस कर देते हैं। जब भी हम लंबी फ्लाइट में सफर करते हैं, उसमें हमारी बॉडी की एक्सरसाइज प्रॉपर नहीं होती है।
डॉ. बेदी ने कहा, भगवान ने हमें एक हार्ट तो ऊपर दिया है, जो दिल अपने आप धड़कता है और जो हमारी पिंडलियां हैं, उन्हें भी हम पेरिफेरल हार्ट बोलते हैं। इसलिए सर्कुलेशन के लिए उनका काम करना जरूरी है, तो ऐसे में अगर आप पिंडिलियों की एक्सरसाइज नहीं करेंगे, तो धीरे-धीरे आपकी टांगों में खून जमा हो सकता है।
उन्होंने आगे बताया, दूसरी बात एक और कारण है कि हम लंबी फ्लाइट में ज्यादा लिक्विड लेने से भी बचते हैं, क्योंकि बार-बार वॉशरूम जाना भी थोड़ा मुश्किल होता है। तीसरी चीज ये कि आमतौर पर ऐसे फ्लाइट में थोड़ा स्पिरिट्स एंड अल्कोहल भी चलती है। उसके साथ में और एसे वातावरण में आपका बॉडी ग्रेजुअली डिहाइड्रेट होती जा रही है और आपको पता नहीं चल रहा है।
इसलिए कम एक्सरसाइज और कम ब्लड फ्लो की वजह से टांगों में क्लॉट बन सकता है। बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं, जब वे फ्लाइट के बाद बाहर निकल कर आते हैं, तो उनके पैर एकदम सूज जाते हैं। ये सब इसलिए हुआ, क्योंकि आपकी बॉडी की एक्सरसाइज या मूवमेंट नहीं हो पाई।
इंडिया में पैर दबाने की रिवायत चलती है, तो कई बार ऐसे केस में ये भी हुआ कि एकदम मरीज उठ के अचानक चल और एक क्लॉट सीधा उसके फेफड़ों में जाकर अटक गया, जिस वजह से उनके सीने में दर्द हुआ और आमतौर पर इस हार्ट अटैक बता दिया जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति को पल्मोनरी एम्बोलिज्म कहते हैं, जिसमें अचानक सर्कुलेशन आपकी पूरी बॉडी में बंद हो जाती है और पेशेंट की ऑन द स्पॉट कई बार डेथ भी हो सकती है।
वहीं कई पेशेंट माइल्ड मैनिफेस्टेशन के साथ में आते हैं, जिन्होंने अपना पैर दबवा लिया और अचानक एक क्लॉट ऊपर गया और साथ में पैरों में सूजन हुई और सांस लेने में तकलीफ हुई, ऐसे में अगर उसे मरीज को टाइम पर अस्पताल में पहुंच जाए और डायग्नोस हो जाए, तो शायद जान बचाई जा सकती है, लेकिन इसमें खतरा है।