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महिला पत्रकारों की एंट्री पर बैन, दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने सुनाया फरमान

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों की एंट्री बैन रही, जिसके बाद यह मुद्दा गर्मा गया है। इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे हमारी जमीन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का एजेंडा रखने वाले कौन होते हैं

अपडेटेड Oct 10, 2025 पर 10:55 PM
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अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी गुरुवार से भारत के दौरे पर हैं।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी गुरुवार से भारत के दौरे पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और राजधानी दिल्ली में प्रेस कॉफ्रेंस भी की। वहीं अमीर खान मुत्तकी के प्रेस कॉफ्रेंस में एक विवाद भी देखने को मिला है। इस प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों की एंट्री बैन रही है, जिसके बाद यह मुद्दा गर्मा गया है। इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे हमारी जमीन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का एजेंडा रखने वाले कौन होते हैं?

महिला पत्रकारों की एंट्री बैन

बता दें कि राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को अफगान दूतावास में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों की गैरमौजूदगी साफ नजर आई। इस कार्यक्रम में कुल 20 पत्रकार शामिल हुए, लेकिन उनमें एक भी महिला रिपोर्टर मौजूद नहीं थी। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम में किसे शामिल किया जाएगा, इसका फैसला खुद मुत्ताकी के साथ आए तालिबान अधिकारियों ने किया। उनके अनुसार, भारतीय अधिकारियों की ओर से यह सुझाव दिया गया था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी पत्रकारों को, खासकर महिला पत्रकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि भागीदारी समान हो।

नहीं दी गई कोई आधिकारिक जानकारी


यह बहुत कम ही देखने को मिलता है कि नई दिल्ली में किसी विदेशी कार्यक्रम या मीडिया मीटिंग से महिला पत्रकारों को बाहर रखा जाए। फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या तालिबान ने भारतीय अधिकारियों को पहले से यह जानकारी दी थी कि मुत्ताकी के कार्यक्रम में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया जाएगा। तालिबान शासन आने के बाद अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों में भारी कमी आई है। पहले की निर्वाचित सरकारों ने जो अधिकार उन्हें दिए थे, वे अब लगभग समाप्त हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगान महिलाओं को अब काम करने के अवसर नहीं मिल रहे हैं और कई बार वे किसी पुरुष परिजन के बिना जरूरी सेवाओं तक भी नहीं पहुच पातीं। इसके अलावा, लड़कियों को स्कूल और उच्च शिक्षा से भी वंचित रखा जा रहा है।

भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए तालिबान के वरिष्ठ नेता मुत्ताकी काफी सहज नज़र आए और उन्होंने सभी सवालों के जवाब उर्दू में दिए। वे उस कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठे थे, जिसकी दीवारों पर बामियान की छठी शताब्दी की बुद्ध प्रतिमाओं की तस्वीरें लगी थीं- वही प्रतिमाए जिन्हें कभी तालिबान के पूर्व प्रमुख मुल्ला उमर के आदेश पर नष्ट कर दिया गया था। अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर हो रहे अत्याचारों से जुड़े एक सवाल पर मुत्ताकी ने कहा कि 15 अगस्त 2021 को जब तालिबान ने काबुल में सत्ता संभाली, उससे पहले देश में हर दिन करीब 200 से 400 लोगों की जान जाती थी।

उन्होंने कहा, “पिछले चार वर्षों में किसी तरह की बड़ी हिंसा नहीं हुई है। देश में कानून लागू हैं और सभी को अपने अधिकार मिले हुए हैं। जो लोग गलत बातें फैला रहे हैं, वे भ्रम पैदा कर रहे हैं। हर देश के अपने नियम, परंपराएं और सिद्धांत होते हैं, और अफगानिस्तान भी उन्हीं के अनुसार चलता है। यह कहना ठीक नहीं है कि लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं। अगर ऐसा होता, तो देश में शांति कैसे लौटती?”

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