Credit Cards

एक्पोर्टर्स ने 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ पर जताई चिंता, कहा-इस चोट को बर्दाश्त करना मुश्किल होगा

अमेरिका ने पहले इंडिया पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया था। बाद में इसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया। उसने कहा है कि 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल खरीदने के लिए लगाया जा रहा है। इससे इंडिया उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिन पर अमेरिका ने सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया है

अपडेटेड Aug 22, 2025 पर 6:15 PM
Story continues below Advertisement
इंडियन गुड्स पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो जाएगा।

अमेरिका अगर 27 अगस्त से 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लागू करता है तो टेक्सटाइल्स, अपैरल, लेदर, ज्वैलरी और सी फूड जैसे उत्पादों के एक्सपोर्ट पर काफी असर पड़ेगा। अमेरिका को इंडिया के कुल एक्सपोर्ट में इन आइटम्स की हिस्सेदारी करीब 47 अरब डॉलर है। एक्सपोर्ट्स का कहना है कि टैरिफ की वजह से अमेरिकी बाजार में भारतीय प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे। इससे वियतनाम और बांग्लादेश के प्रोडक्ट्स में ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।

निर्यातकों के लिए अतिरिक्त टैरिफ का बोझ उठाना मुश्किल होगा

अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के चैयरमैन सुधीर सेखरी ने यह साफ कर दिया कि अपैरल इंडस्ट्री इस अतिरिक्त बोझ को नहीं उठा पाएगी। उन्होंने कहा, "हमारा अपैरल एक्सपोर्ट 5.2 अरब डॉलर का है। इसका मतलब है कि करीब 67.5 करोड़ डॉलर की चोट लगेगी।" उन्होंने बताया कि एक्सपोर्टर्स पहले लगे 25 फीसदी टैरिफ के असर से निपटने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, अब 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगने से हमारी कमर टूट जाएगी।


सरकार से इंसेंटिव का बाकी फंड रिलीज करने की गुजारिश

उन्होंने सरकार से बाकी इंसेंटिव फंड रिलीज करने की गुजारिश की। इसमें 2,250 करोड़ रुपये का वह फंड शामिल है, जो सैंक्शन हो गया है लेकिन रिलीज नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार टैरिफ की मार से एक्सपोर्ट्स को बचाने के लिए स्क्रिप आधारति सब्सिडी के बारे में भी सोच सकती है। गोकलदास एक्सपोर्ट्स के वाइस चेयरमैन एवं एमडी एस गणपति ने भी अतिरिक्त टैरिफ को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा डर यह है कि भारतीय निर्यातकों के हाथ से अमेरिकी बाजार निकल जाएगा।

यह भी पढ़ें: Peter Navarro: क्या रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने का जिम्मेदार भारत है? अमेरिकी सरकार के सलाहकार पीटर नवारो का आरोप

निर्यातकों को दूसरे बाजारों में जाने को मजबूर होना पड़ेगा

गणपति ने कहा कि अगर 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ जारी रहता है तो ब्रांड्स दूसरे देशों में बिजनेस के लिए मजबूर होंगे। तब तक हमें मदद की जरूरत है। दूसरे मार्केट में जगह बनाने में कम से कम एक साल या इससे ज्यादा समय लगेगा। इस बीच मदद जरूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट में MSME की ज्यादा हिस्सेदारी है। कैपिटल और कर्ज के मामले में मदद नहीं मिलने से उनका वजूद मुश्किल में पड़ जाएगा। इंडियन प्रोडक्ट्स की प्रतिस्पर्धी क्षमता बनाए रखने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे स्ट्रक्चरल रिफॉर्म जरूरी है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।