Flood in UP: उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के कारण गंगा, यमुना और बेतवा सहित प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। यूपी के कम से कम 17 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में बारिश के बाद बिजली गिरने, डूबने, सांप के काटने और बाढ़ से संबंधित घटनाओं में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई है। बाढ़ ने कानपुर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा और फतेहपुर समेत 17 जिलों को प्रभावित किया है।
फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी हैं। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में लोगों की सहायता के लिए NDRF, SDRF और PAC की टीमें तैनात हैं। इस बीच, इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने अगले 24 से 36 घंटों में उत्तर प्रदेश में और मूसलाधार बारिश होने की आशंका जताई है। कई शहरों में गाड़ियों में पानी भरा हुआ है। निवासियों को छाती तक पानी में चलते हुए देखा जा सकता है। पानी निकालने और प्रभावित नागरिकों की सहायता के लिए इमरजेंसी सेवाओं को तैनात किया गया है।
लाल निशान से ऊपर हैं नदियां
राहत आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जबकि यमुना औरैया, कालपी, हमीरपुर, प्रयागराज और बांदा में लाल निशान से ऊपर है। इसके अनुसार, बेतवा नदी भी हमीरपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। राज्य में रविवार को 14.2 मिलीमीटर (मिमी) बारिश हुई। करीब 24 जिलों में भारी बारिश हुई।
इस समय राज्य के कम से कम 17 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी में सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। इससे घाट जलमग्न हो गए और अधिकारियों को दाह संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान छतों और ऊंचे चबूतरों पर करने के आदेश देने पड़े।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, काशी में सोमवार सुबह तक गंगा नदी 72.1 मीटर के स्तर पर बह रही थी, जो खतरे के स्तर 71.262 मीटर से ऊपर है। गंगा सेवा निधि के शिवम अग्रहरि ने कहा कि सभी घाट जलमग्न हो गए हैं, जिससे वहां पहुंचना बाधित हो गया है। दशाश्वमेध घाट पर प्रसिद्ध गंगा आरती अब छतों पर की जा रही है। जबकि मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर दाह संस्कार ऊंचे चबूतरों पर किए जा रहे हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जिले के अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर नदी में नावों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में गश्त कर रही हैं और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।
प्रयागराज में भी भारी बारिश का कहर
प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण शनिवार से गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 84.73 मीटर से ऊपर है। इससे जिले के 200 से ज्यादा गांव और शहर की लगभग 60 बस्तियां बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सोमवार सुबह 8 बजे नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 86.04 मीटर दर्ज किया गया। जबकि फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्तर 86.03 मीटर दर्ज किया गया।
जिला प्रशासन ने शहर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के नागरिकों के लिए बाढ़ राहत शिविर केंद्र स्थापित किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि शहर में सदर तहसील के अंतर्गत 107 वार्ड और मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा प्रमुख रूप से प्रभावित हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में फूलपुर तहसील के 18, सोरांव के आठ, मेजा के 12, बारा तहसील के 8 और हंडिया तहसील के 6 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।